नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने हाल ही में पेश किए बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत का मौजूदा आर्थ‍िक माहौल उनके पूर्व अनुमान से भी कमजोर है। आईएमएफ ने कहा कि भारत को जल्द ही महत्वाकांक्षी संरचनात्मक और वित्तीय सुधार करने की जरूरत है, जिससे कि मध्यावधि में राजकोष बढ़े। इसके लिए भारत को एक रणनीति के तहत काम करना होगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को लोकसभा में बजट पेश किया था। केंद्र सरकार ने इस बजट को देश के लिए बेहतर बताते हुए निकट भविष्य में बड़े सुधार की आशा व्यक्त की थी। वहीं आईएमएफ के प्रवक्ता गेरी राइस ने कहा कि भारत का मौजूदा आर्थिक माहौल हमारे पूर्वानुमान की तुलना में कमजोर है।

राइस ने कहा, ‘भारत की अर्थव्यवस्था हमारे अनुमान की तुलना में कमजोर है। भारत को जल्द ही वित्तीय सुधार करने की आवश्यकता है, जिससे कि मध्यावधि में राजकोष बढ़े। इसके लिए भारत को एक रणनीति के तहत काम करना होगा।’

सरकार टैक्स के माध्यम से राजस्व कमाती है। साथ ही खर्च भी करती है। जब सरकार का खर्च, राजस्व से बढ़ जाता है, तो उसे बाजार से अतिरिक्त राशि उधार लेना पड़ता है। सरकार की कुल कमाई और खर्च के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। इसका मतलब सरकार जो राशि उधार लेगी उसे ही राजकोषीय घाटा कहेंगे।

आईएमएफ ने जनवरी महीने में भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़त के अनुमान को काफी घटा दिया है। आईएमएफ का कहनै है कि वित्त वर्ष 2019-20 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में बढ़त दर महज 4.8 फीसदी रहेगी। आईएमएफ ने कहा कि भारत और इसके जैसे अन्य उभरते देशों में सुस्ती के कारण दुनिया के ग्रोथ अनुमान को उसे घटाना पड़ा है।

सितंबर तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ 4.5 फीसदी पर पहुंच गई थी। यह छह साल का निचला स्‍तर है। जबकि लगातार 6 तिमाही से ग्रोथ रेट में गिरावट आ रही है। मूडीज सहित कई रेटिंग एजेंसियां भारत के विकास दर अनुमान में कमी कर चुकी हैं।