लखनऊ: सीएसआईआर-सीडीआरआई की प्रधान वैज्ञानिक, डॉ रितु त्रिवेदी , को उनके उत्कृष्ट अनुसंधान कार्यों को मान्यता प्रदान करने हेतु प्रतिष्ठित टाटा इनोवेशन फेलोशिप 2019-20 से सम्मानित किया गया है। यह फेलोशिप नवीन वैज्ञानिक ज्ञान और उन्नत प्रौद्योगिकियों के मध्यम से ट्रांसलेशनल रिसर्च (अनुवादक अनुसंधान) करने वाले वैज्ञानिकों को सम्मानित और प्रोत्साहित करने के लिए प्रदान की जाती है । यह प्रतिष्ठित टाटा इनोवेशन फेलोशिप, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा स्थापित एक प्रतिस्पर्धी पुरस्कार योजना है। यह पुरस्कार, स्वास्थ्य विज्ञान, कृषि और जीवन विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी से संबंधित अन्य क्षेत्रों की मुख्य समस्यायों के समाधान के लिए अभिनव अनुसंधान करने के लिए तथा उत्कृष्ट वैज्ञानिक ट्रैक रिकॉर्ड रखने वाले वैज्ञानिकों को पुरस्कृत करने के लिए प्रदान की जाती है ।

डॉ रितु त्रिवेदी ने मेटाबोलिक अस्थि रोग (विकार) के क्षेत्र में उल्लेखनीय वैज्ञानिक योगदान दिया है, जिसमें रजोनिवृत्ति के बाद ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोआर्थराइटिस विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। उनके काम से अस्थि स्वास्थ्य में सुधार के लिए प्राकृतिक संसाधनों और छोटे अणुओं से संभावित औषधि उत्पादों की एक पाइपलाइन (श्रेणी) का निर्माण हुआ है। इनमें से, 99/373 (सीडीआरआई कोड) ने रजोनिवृत्ति के बाद के ऑस्टियोपोरोसिस के प्रबंधन के लिए उत्साहवर्धक परिणाम दिये हैं और इसे नैदानिक परीक्षण के लिए डीसीजीआई की मंजूरी भी मिली हुई है। प्राकृतिक संसाधनों जैसे शीशम (डल्बर्जिया सिस्सू) की पत्तियों से तैयार नवीन ओस्टोजेनिक मार्कर के साथ अच्छी ओस्टियोजेनिक (अस्थिजनक) प्रभावकारिता का प्रदर्शन किया, जिसके कारण रैपिड फ्रैक्चर हीलिंग एजेंट के रूप में इसे स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं। इस तकनीक को रीयूनियन® के नाम से फार्मेञ्जा प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित किया गया है। नैदानिक परीक्षण (CTRI / 2015/06/005850) के समापन के पश्चात इस उत्पाद को औपचारिक रूप से बाजार में उपलब्ध कराया है। एक अन्य औषधि उत्पाद स्पिनेशिया ओलेरेशिया (देशी पालक) से निर्मित जाइंट फ्रेश® (JOINT FRESH®) में कार्टिलेज प्रोलिफ़ेरेटिव (उपास्थि पुनर्जनन) क्षमता है और इस प्रकार ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए यह एक न्यूट्रास्युटिकल के रूप में भी बाजार में उपलब्ध है।

डॉ रितु के इन वैज्ञानिक योगदानों के अलावा उनके नाम प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में 100 से अधिक रिसर्च पेपर प्रकाशित हैं एवं उन्होने 21 पेटेंट दिए हैं। वह नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (इंडिया) की फेलो भी हैं।