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शायर मुनव्वर राणा की बेटी को भाजपा सांसद ने दी पाकिस्तान चले जाने की सलाह

अलीगढ़: देशभर में संशोधित नागरिकता कानून (CAA) का विरोध जारी है. दिल्ली के शाहीन बाग में मुस्लिम महिलाएं करीब दो महीने से इस कानून को वापस लिए जाने की मांग को लेकर धरना दे रही हैं. केंद्र सरकार साफ कर चुकी है कि किसी भी कीमत पर इस कानून को वापस नहीं लिया जाएगा. CAA के खिलाफ और इसके समर्थन में देश के कई राज्यों में रैलियां निकाली जा रही हैं. हाल ही में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में भी CAA विरोधी रैली का आयोजन किया गया था. मशहूर शायर मुनव्वर राणा की बेटी सुमैया राणा ने इस रैली में हिस्सा लिया था और वहां मौजूद लोगों को संबोधित किया था. अब अलीगढ़ से भारतीय जनता पार्टी के सांसद सतीश गौतम ने कहा है कि अगर वह (सुमैया राणा) भारत में घुटन महसूस कर रही हैं तो वह पाकिस्तान जाने के लिए आजाद हैं.

सांसद सतीश गौतम ने कहा, 'अगर सुमैया राणा देश में घुटन महसूस कर रही हैं तो उनके लिए पाकिस्तान जाने के कई रास्ते खुले हैं. भारत में कोई भी आजादी से अपनी बात रख सकता है.' बताते चलें कि अलीगढ़ में आयोजित की गई CAA विरोधी रैली में सुमैया ने कहा था, 'मौजूदा समय में भारत का माहौल काफी क्रूर हो गया है और ऐसे हालातों में यहां घुटन महसूस हो रही है.' बता दें कि मुनव्वर राणा की दोनों बेटियों (सुमैया और फौजिया) पर लखनऊ में CAA के खिलाफ रैली में हिस्सा लेने पर केस दर्ज किया गया है. बेटियों पर FIR होने के बाद मुनव्वर राणा ने गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) पर हमला बोलते हुए कहा था, 'मेरी बेटियों के खिलाफ निषेधाज्ञा के उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया, लेकिन अमित शाह के बारे में क्या कहेंगे, जिन्होंने लखनऊ में हजारों लोगों को संबोधित किया. जनसभा में निश्चित तौर पर चार से ज्यादा लोग थे. दो अलग-अलग व्यक्तियों के लिए एक कानून के दो पहलू कैसे हो सकते हैं.'

गौरतलब है कि मोदी सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र में नागरिकता संशोधित बिल को दोनों सदनों से पारित करवा लिया था. राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद यह कानून प्रभाव में आ गया. इसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी नागरिकों को भारतीय नागरिकता देना आसान कर दिया गया है. धार्मिक प्रताड़ना को इसका आधार बनाया गया है. इस कानून के तहत 31 दिसंबर, 2014 तक इन देशों से आए निम्न समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने की बात कही गई है. इस कानून में मुस्लिमों को नहीं रखा गया है. केंद्र सरकार का कहना है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में मुस्लिम अल्पसंख्यक नहीं है, यही वजह है कि संशोधित कानून में मुस्लिमों को इससे बाहर रखा गया है. दूसरी ओर मुस्लिम राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) लागू किए जाने के भय की वजह से CAA का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि पूरे देश में NRC लागू करने के लिए ही सरकार इस कानून को लेकर आई है.

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