लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री रघुराज सिंह ने मुस्लिमों को दैत्यों का वंशज बताया है. इतना ही नहीं, उन्होंने अल्पसंख्यक महिलाओं के बुर्का पहनने की वजह और इसकी शुरूआत पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा, 'बुर्के को लेकर मेरी स्पष्ट राय और सोच है कि इस देश में बुर्का इसलिए नहीं होना चाहिए, जैसे श्रीलंका में नहीं है, चीन में नहीं है, जापान में नहीं है, अमेरिका में नहीं है, कनाडा में नहीं है, तो हमारे देश में बुर्का इसलिए बैन होना चाहिए, जिससे कि आतंकवादी वहां न आ सकें.' उन्होंने आगे कहा, 'जैसे शाहीन बाग में लोग बैठे हैं बुर्के में, जैसे यहां भी एक छोटा सा शाहीन बाग बनाया है. यहां भी बुर्के में यूनिवर्सिटी के छात्र बैठे हैं. तो बुर्के में चोर-चकारों को एक आड़ मिल जाती है. बदमाशों को आड़ मिल जाती है. आतंकवादियों को आड़ मिल जाती है. उस आड़ को खत्म करने के लिए बुर्का यहां पर, भारतवर्ष में बैन होना चाहिए.'

रघुराज सिंह यहीं पर नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा, 'आदरणीय मोदी और योगी की सरकार है, इस नाते मैंने आग्रह किया है कि बुर्का यहां पर बैन होना चाहिए. बुर्का जब बैन हो जाएगा तो उससे आतंकवादियों का प्रवेश भी बंद हो जाएगा. आतंकवादी महिलाओं के भेष में अंदर घुसना चाहते हैं.' उन्होंने आगे कहा, 'बुर्का आया कहां से ये भी मैं आपको बताता दूं. शूर्पणखा जी का कभी वध नहीं हुआ. राम-लक्ष्मण जी के समय में आदरणीय लक्ष्मण जी के समय में जब शूर्पणखा के नाक-कान काटे थे तो वह अरब देश में चली गई थीं. अरब देश में छुपने के लिए. वहां पर कुछ था नहीं. वहां जाकर वह छुप गईं. उसके बाद उन्होंने सिर्फ आंख खोली, बाकी सारा बंद रखा. ये उसका उद्देश्य था.'

रघुराज सिंह आगे बोले, 'शूर्पणखा के नाक-कान दोनों काट लिए गए थे, इस कारण वो अपने पूरे अंग को छुपाकर रखती थीं और आंखों से देखा करती थीं तो इसलिए बुर्का मनुष्य जाति के लिए आवश्यक नहीं है. क्योंकि वहां पर मक्का में शिवलिंग की स्थापना की थी गुरु शुक्राचार्य ने, जो दैत्यों के गुरु थे और वहीं से बु्र्के का चलन शुरू हुआ. ये लोग दैत्यों के वंशज हैं और वही लोग बुर्का पहन सकते हैं. आम आदमी बुर्का नहीं पहनेगा. चूंकि 2250 साल पहले ईसाइयों का इतिहास नहीं है. 1450 साल पहले मुस्लिम पंथ का कोई इतिहास नहीं है. 352 साल पहले खालसा भी सब हमारे हिंदू भाई थे.' गौरतलब है कि रघुराज सिंह पहली बार विवादित बयान नहीं दे रहे हैं, इससे पहले उन्होंने CAA के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर निशाना साधते हुए कहा था, 'जो लोग पीएम मोदी और योगी आदित्यनाथ के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं, उन लोगों को जिंदा दफना दिया जाएगा.' वह लगातार अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का नाम बदलने की भी मांग कर रहे हैं.