नई दिल्ली: PM मोदी ने बुधवार को संसद में राम जन्मभूमि मंदिर के ट्रस्ट का ऐलान किया इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राम जन्मभूमि के विवादित भीतरी और बाहरी भूमि पर रामलला का स्वामित्त्व है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि केंद्र और राज्य सरकार आपस में परामर्श करके सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन आवंटित करें. मुझे इस सदन और पूरे देश को ये बताते हुए खुशी हो रही है कि आज सुबह कैबिनेट की बैठक में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को ध्यान में रखते हुए इस दिशा में अहम फैसले लिए गए.

साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक श्रीराम जन्मस्थली पर भगवान राम के मंदिर के निर्माण और इससे संबंधित अन्य विषयों के लिए बड़ी योजना तैयार की है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र नाम से एक ट्रस्ट का गठन करने का प्रस्ताव पारित किया गया है. यह ट्रस्ट अयोध्या में भगवान राम के जन्मस्थली पर भव्य और दिव्य राम मंदिर के निर्माण और उससे संबंधित विषयों पर फैसले लेने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र होगा. वहीं कोर्ट के आदेश के मुताबिक गहन विचार विमर्श के बाद अयोध्या में सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन देने के लिए यूपी सरकार से अनुरोध किया था, जिसे यूपी सरकार ने मान लिया है. इसके साथ ही सरकार ने एक और फैसला किया है कि अयोध्या विवाद से जुड़ी 67 एकड़ा जमीन ट्रस्ट को दी जाती है.

गौरतलब है कि सरकार ने मंगलवार को बताया था कि उच्चतम न्यायालय के 9 नवंबर 2019 के निर्णय से अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया है और इसके निर्देशों के तहत केंद्र सरकार सभी आवश्यक कदम उठा रही है. लोकसभा में भोला सिंह, जयंत कुमार राय, विनोद कुमार सोनकर, सुकांत मजूमदार और राजा अमरेश्वर नाईक के प्रश्न के लिखित उत्तर में गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा था, ‘‘वर्ष 2010 की सिविल अपील संख्या 10866-10867 एवं अन्य संबंधित मामलों में उच्चतम न्यायालय द्वारा 9 नवंबर 2019 को दिये गए निर्णय से अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया है.''

उन्होंने बताया था, ‘‘केंद्र सरकार उपरोक्त निर्णय में निहित दिशा-निर्देशों के अनुपालन में उत्तर प्रदेश सरकार के साथ परामर्श करने सहित सभी आवश्यक कदम उठा रही है.'' वहीं, जिलाधिकारी ने अयोध्या नगरी में भगवान राम की 251 मीटर ऊंची प्रतिमा स्थापित करने के लिए कुछ स्थानीय ग्रामीणों की आपत्ति के बीच भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी है. यह योगी आदित्यनाथ सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है जिसकी घोषणा दो साल पहले की गई थी.