नई दिल्ली: चीन में कोरोना वायरस के प्रकोप के मद्देनजर वहां के वुहान से भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए एअर इंडिया का 423 सीटों वाला बी747 विमान शुक्रवार को दिल्ली हवाई अड्डे से दोपहर एक बजकर 20 मिनट पर रवाना हुआ। विमान भारत के आईजीआई हवाई अड्डे पर पहुंच गया है। चीन से वापस आ रहे लोगों को मानेसर व छावला स्थित सुरक्षा बलों के कैंप के अस्पताल में अगले दो सप्ताह तक रखा जाएगा। इन लोगों को यहां चिकित्सकों की निगरानी दो सप्ताह तक रखा जाएगा।

विमानन कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कल उड़ान भरने के बाद कहा था कि विमान दोपहर 12 बजकर 50 मिनट पर रनवे पर आया और दोपहर एक बजकर 20 मिनट पर उड़ान भरी। विमान के उड़ान भरने में देरी हुई क्योंकि कुछ चीजों की मंजूरी लंबित थी। विमान का पहले साढ़े 12 बजे उड़ान भरना निर्धारित था।

विमान के उड़ान भरने के बाद एअर इंडिया के प्रवक्ता ने बताया था कि वुहान से भारतीयों को वापस लाने के लिए एक अन्य विशेष उड़ान शनिवार को दिल्ली हवाई अड्डे से रवाना हो सकती है। शुक्रवार की उड़ान के बारे में प्रवक्ता ने कहा, ‘‘विमान में आरएमएल के पांच चिकित्सकों की एक टीम, एअर इंडिया का एक पैरामेडिकल कर्मी के साथ ही चिकित्सकों द्वारा निर्धारित दवाएं, मास्क, ओवरकोट, डब्बाबंद खाद्य पदार्थ हैं। इसके साथ ही इस विशेष विमान में इंजीनियरों, सुरक्षाकर्मियों की एक टीम भी मौजूद है।

इस पूरे अभियान का नेतृत्व कैप्टन अमिताभ सिंह, निदेशक (अभियान), एअर इंडिया द्वारा किया जा रहा है।’’ प्रवक्ता ने कहा कि शुक्रवार की उड़ान में पांच कॉकपिट क्रू सदस्य और 15 केबिन क्रू सदस्य मौजूद रहे। एअर इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अश्वनी लोहानी ने शुक्रवार को कहा, ‘‘विमान में कोई सेवा नहीं दी जाएगी। जो भी खाद्य पदार्थ होंगे वह सीट पॉकेट में रखे होंगे। चूंकि कोई सेवा नहीं हुई तो (चालक दल के सदस्यों और यात्रियों के बीच) कोई संपर्क भी नहीं हो सका।’’

उन्होंने कहा, ‘‘चालक दल के सदस्यों और यात्रियों के लिए मास्क का प्रबंध किया गया था। हमने चालक दल के सदस्यों के लिए सुरक्षा कवच का भी प्रबंध किया गया।’’ लोहानी ने कहा, ‘‘स्वास्थ्य मंत्रालय से कुल पांच चिकित्सक भी गए थे…विमान (वुहान हवाई अड्डे पर) दो से तीन घंटे तक रहेगा।’’

एअर इंडिया ने ऐसे अभियान लीबिया, इराक, यमन, कुवैत और नेपाल जैसे देशों के लिए भी संचालित किये हैं। सरकार ने चीन के हुबेई प्रांत में रहने वाले 600 भारतीय लोगों से यहां वापस लौटने की इच्छा जानने के लिए संपर्क किया था।