नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने कर्ज के बोझ से जूझ रही सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया के 100 फीसदी शेयर बेचने का फैसला किया है। इसको लेकर प्राथमिक जानकारी भी साझा कर दी गई है। सरकार की ओर से जारी दस्तावेज के मुताबिक 'रणनीतिक विनिवेश' के तहत एयर इंडिया, एयर इंडिया एक्सप्रेस के भी 100 फीसदी और जॉइंट वेंचर एआईएसएटीएस के 50 फीसदी शेयर बेचेगी। इसके अलावा प्रबंधन नियंत्रण का अधिकार भी सफल बोली लगाने वाले के हाथ चला जाएगा। सरकार ने इस विनिवेश में बोली प्रक्रिया का इस्तेमाल करेगी और इसमें शामिल होने के लिए 17 मार्च का समय तक का समय रखा गया है।

बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बने एक मंत्री समूह ने 7 जनवरी को इस सरकारी विमानन कंपनी के निजीकरण से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। एयर इंडिया पर 80 हजार करोड़ रुपये का बकाया है। सरकार ने 17 मार्च तक एयर इंडिया के शेयरों की खरीद के लिए बोलियां मंगाई हैं।

एआईएसएटीएस एयर इंडिया और सिंगापुर एयरलाइंस का संयुक्त उपक्रम है। यह कंपनी ग्राउंड हैंडलिंग का कार्य करती है। निविदा पत्र में कहा गया है कि एयर इंडिया इसके अलावा एयर इंडिया इंजिनियरिंग सर्विसेज, एयर इंडिया एयर ट्रांसपोर्ट सर्विसेज, एयरलाइन एलाइड सर्विसेज और होटल कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में भी हिस्सेदारी रखती है। इन सभी कंपनियों को एक अलग कंपनी एयर इंडिया एसेट्स होल्डिंग लिमिटेड को ट्रांसफर करने की प्रक्रिया चल रही है। यह सभी कंपनियां मौजूदा बिक्री मसौदे का हिस्सा नहीं होंगी। निविदा पत्र के अनुसार विनिवेश के समय एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस के कुल 60 हजार करोड़ में से 23,286.5 करोड़ रुपए का कर्ज रहेगा। अन्य कर्ज को एयर इंडिया एसेट्स होल्डिंग लिमिटेड को आवंटित कर दिया जाएगा। सलाहकार फर्म अर्नेस्ट एंड यंग (ईवाई) को विनिवेश सलाहकार बनाया गया है।

सरकार की ओर से जारी निविदा प्रक्रिया में कहा गया है कि यह कई कंपनियों का कंसोर्टियम ईओआई जमा करता है तो ऐसे कंसोर्टियम का मुख्य सदस्य 26 फीसदी हिस्सेदारी खरीद सकता है। पहले यह हिस्सेदारी 51 फीसदी रखी गई थी। कंसोर्टियम में कम से कम हिस्सेदारी को आसान करके 10 फीसदी कर दिया गया है। ज्यादा से ज्यादा कंपनियों को कंसोर्टियम में शामिल होने के मकसद से इस बार शर्तों में ढील दी गई है। योग्य निविदादाता की कुल नेटवर्थ 3500 करोड़ रुपए होनी चाहिए। पहले निविदादाता की नेटवर्थ 5000 करोड़ रुपए तय की गई थी।

उल्लेखनीय है कि एयर इंडिया की देनदारी बढ़कर 80 हजार करोड़ रुपये के पार पहुंच चुकी है तथा उसे पिछले साल रोजाना 22 से 25 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी उसके विनिवेश का प्रयास किया गया था, लेकिन उस समय कंपनी को खरीदने के लिए कोई खरीददार सामने नहीं आया। पिछले साल दुबारा सत्ता में आने पर पहले ही बजट में सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह एक बार फिर एयर इंडिया के विनिवेश का प्रयास करेगी।