नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) द्वारा भारत में आर्थिक वृद्धि के अनुमान को कम करने की रिपोर्ट आने के बाद एफएमसीजी यानी फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स ने भी अपनी रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 में एफएमसीजी उत्पादों की मांग में महज 9.7 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई जोकि पिछले तीन सालों में सबसे कम है। साल 2018 में इस सेक्टर में 13.5 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई थी। ऐसे में बीते एक साल में एफसीजी सेक्टर में 3.8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। डेटा एनालिटिक्स फर्म नीलसन ने मंगलवार (21 जनवरी, 2020) को अपनी रिपोर्ट में बताया कि मांग में गिरावट का असर सबसे अधिक ग्रामीण इलाकों में देखने को मिला है।

रिपोर्ट में बताया गया कि 2019 की पहली तिमाही में मांग में 13.6 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई जो दूसरी तीमाही में घट कर 10.3 फीसदी और तीसरी तिमाही में घटकर 7.9 फीसदी पर पहुंच गई। इसी तरह साल के आखिरी तीन महीनों में एफएमसीजी सेक्टर में महज 7.3 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई। खास बात है कि साल 2018 के आखिरी तीन महीनों में इस सेक्टर में दो गुना से ज्यादा यानी 15.7 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई। साल 2018 की तीसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में इस सेक्टर में सबसे अधिक ग्रोथ दर्ज की गई जो 16.2 फीसदी थी।

नीलसन ग्लोबल कनेक्ट के दक्षिण एशिया जोन के अध्यक्ष प्रसून बसु ने कहा, ‘साल 2019 एफएमसीजी उद्योग के लिए करीब चार फीसदी की गिरावट के साथ एक मुश्किल साल रहा। इस साल भी स्थिति में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं नजर आता।’ बता दें कि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर के पूर्वानुमान को घटाकर 4.8 फीसदी कर दिया है। जबकि 2020 और 2021 में इसके क्रमश: 5.8 प्रतिशत और 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।

आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि अमेरिका-चीन व्यापार समझौते पर मामला आगे बढ़ने के साथ अक्टूबर से जोखिम आंशिक रूप से कम हुए हैं। उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से भारत के आर्थिक वृद्धि अनुमान में कमी के कारण दो साल की वृद्धि दर में 0.1 प्रतिशत तथा उसके बाद के वर्ष के लिए 0.2 प्रतिशत की कमी की गई है। मुद्राकोष ने भारत के आर्थिक वृद्धि के अनुमान को कम कर 2019 के लिये 4.8 प्रतिशत कर दिया है। इसका मुख्य कारण गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र में समस्या और गांवों में आय वृद्धि में नरमी है।