मैं चला था जानिबे मंज़िल मगर, लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया| जी हाँ घंटाघर लखनऊ पर CAA NRC के खिलाफ पिछले शुक्रवार से शुरू हुआ 12 महिलाओं का क़ाफ़िला अब एक बड़ा कारवां बन चूका है| दिल्ली के शाहीनबाग़ से एक महीना पहले नागरिकता संशोधन क़ानून के खिलाफ महिलाओं ने जो बिगुल फूंका उसकी गूँज आज देश के कोने कोने में सुनाई दे रही है| एक तरफ सरकार किसी भी हालत में CAA पर अपने क़दम पीछे हटाने को तैयार नहीं, गृह मंत्री जी CAA के समर्थन में रैलियां निकाल रहे हैं और ज़ोर ज़ोर से कह रहे हैं कि हर हालत में CAA लागू होगा लोग चाहे जितना विरोध करें तो दूसरी तरफ CAA NRC के खिलाफ मोर्चा संभाले इन महिलाओं का कहना है कि यह घमंड बोल रहा है और घमंड हमेशा किसी न किसी दिन टूटता है| इन सर्द ठिठुरते मौसम में इनके इरादों की गर्मी इनके नारों और इनकी बातों से साफ़ नज़र आती है| हज़ारों की संख्या में अपने छोटे छोटे बच्चों के साथ इन महिलाओं की सिर्फ एक ही मांग है कि इस काले क़ानून को हटाया जाय| इनका कहना है "हम हिंदुस्तानी हैं और हिंदुस्तानी ही रहेंगे, यहीं पैदा हुए हैं और यहीं पर मरेंगे"| हालाँकि इन महिला प्रदर्शनकारियों को काफी परेशान भी किया जा रहा है, उनके कम्बल छीने गए, खाना छीना गया और मुक़दमे दर्ज कराये गए मगर इनके जोश में कहीं कोई कमी नज़र नहीं आ रही है| देखना है कि यह विरोध प्रदर्शन कितना आगे जाएगा| क्या सरकार का कोई नुमाइंदा इनसे बात करने आएगा| इन सवालों का जवाब आने वाले दिनों में मिलेगा या नहीं फिलहाल आप लखनऊ की इन शाहीनों का जोश देखें