नागपुर: मोदी सरकार के कद्दावर मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर के एक कार्यक्रम के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए केंद्र सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाओं के लिए सरकार के पास पैसे की कमी नहीं है, लेकिन फैसले लेने की हिम्मत चाहिए, जो सरकार के पास नहीं है।

गडकरी ने इसके आगे कहा कि योजनाओं पर काम न होने के लिए 'सरकार की मानसिकता' और 'नकारात्मक एटिट्यूड' ही जिम्मेदार है। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि पिछले पांच साल में उन्होंने 17 लाख करोड़ रुपये के काम करवाए हैं और इस साल वह पांच लाख करोड़ रुपये तक पहुंचना चाहते हैं।

एक मीटिंग के दौरान एख अधिकारी की बातों को याद करते हुए गडकरी ने कहा कि परसो मैं एक हाइएस्ट फोरम की मीटिंग में था। वहां वो (आईएएस अधिकारी) कह रहे थे कि ये शुरू करेंगे-वो शुरू करेंगे, तो मैंने उनको कहा कि आप क्यों शुरू करेंगे? आपकी अगर शुरू करने की ताकत होती तो आप आईएएस ऑफिसर बनके यहां नौकरी क्यों करते?

बताएं कि शनिवार को एक कार्यक्रम में गडकरी ने कहा था कि देश को वर्ष 2024-25 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य हालांकि कठिन है, लेकिन घरेलू उत्पादन बढ़ाने और आयात पर निर्भरता घटाने जैसे कदमों से इसे हासिल किया जा सकता है।

गडकरी ने यहां इंदौर मैनेजमेंट एसोसिएशन के अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सम्मेलन में कहा, "किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति बेहद महत्वपूर्ण है। ऐसी ही इच्छाशक्ति जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य तय किया है। यह लक्ष्य कठिन जरूर है। लेकिन असंभव नहीं है।"

उन्होंने कहा, "हमारे देश में संसाधनों की प्रचुरता तो है ही उत्पादन क्षमता भी बेहतर है। इसके बावजूद हम हर साल दवाओं, चिकित्सा उपकरणों, कोयला, तांबा, कागज आदि वस्तुओं के आयात पर करोड़ों रुपये खर्च कर रहे हैं। अगर हमें 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है, तो हमें चीजों का आयात करने के बजाय इनका घरेलू उत्पादन बढ़ाना होगा।"