नई दिल्ली: संशोधित नागिरकता कानून (सीएए) के खिलाफ केरल सरकार के हाई कोर्ट का रुख करने के बाद अब छत्तीसगढ़ सरकार ने 2008 नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) एक्ट के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है जिसमें कहा गया है कि यह एक्ट संविधान का उल्लंघन करता है। एनआईए को राज्य के मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।

याचिका में कहा गया है कि ‘एनआईए राज्यों से किसी भी मामले की जांच के अधिकार को छीनता है जो केंद्र को विवेकाधीन और मनमानी शक्तियां प्रदान करता है। एनआईए एक्ट राज्य के संप्रभुता के और संविधान के खिलाफ है। यह राज्य पुलिस द्वारा की जाने वाली जांच के लिये केन्द्र को एक जांच एजेन्सी के सृजन का अधिकार देता है जबकि यह संविधान की सातवीं अनुसूची के अंतर्गत राज्य का विषय है।’

इस याचिका को दायर करने के बाद छत्तीसगढ़ ऐसा पहला राज्य है जिसने एनआईए एक्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। वकील जनरल सतीश वर्मा के मुताबिक ‘राजनीतिक हितों के तहत मामलों का चयन’ के चलते एनआईए एक्टर के खिलाफ कांग्रेस के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ सरकार याचिका दायर करने पर मजबूर हुई है। बता दें कि एनआईए एक्ट 2008 में अस्तित्व में आया था। इसे तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने मुंबई में हुए 26/11 हमले के बाद संसद में पेश किया था।

इसका मकसद आतंकवादी गतिविधियों, देश की सार्वभौमिकता, सुरक्षा और अखंडता, दूसरे देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों के दायरे में आने वाले अपराधों की जांच और कानूनी कार्यवाही के लिए बनाया गया था। खास बात यह है कि एनआईए को भारत के किसी भी राज्य में जांच करने के लिए वहां की सरकार की अनुमति नहीं लेनी पड़ती। इसके साथ ही एनआईए को राज्य के किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने से पहले राज्य सरकार सरकार की अनुमित लेने से छूट मिली हुई है।