नई दिल्ली: विशेष जांच दल (एसआईटी) ने पांच जनवरी को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में भड़की हिंसा में कथित रूप से शामिल सात और लोगों की पहचान की है।
दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने कहा कि आरोपियों की पहचान वीडियो और फोटो के आधार पर की गई है जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हुए थे। सूत्रों ने बताया कि वार्डन, सुरक्षा गार्ड और पांच छात्रों के बयान भी पुलिस ने दर्ज किए हैं।
दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि 60 सदस्यों वाले व्हाट्सएप ग्रुप में 'यूनिटी फॉर लेफ्ट' नाम के व्हाट्सएप ग्रुप को पहले ही एसआईटी ने पहचान लिया है। पुलिस के अनुसार, यह समूह 5 जनवरी को वाम दलों के खिलाफ बनाया गया था, जिस दिन जेएनयू परिसर में हिंसा भड़की थी। बता दें कि दिल्ली पुलिस ने बताया था कि यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट नाम के वॉट्सऐप ग्रुप के 37 सदस्यों की पहचान हो चुकी है।
इससे पहले, जेएनयू में हिंसा के मामले की जांच कर रही क्राइम ब्रांच ने जेएनयूएसयू के अध्यक्ष आइश घोष सहित नौ संदिग्धों की तस्वीरों की पहचान की और उन्हें जारी किया था।
गौरतलब है कि 5 जनवरी को जेएनयू में एक नकाबपोश भीड़ के घुसने के बाद छात्रों और प्रोफेसरों पर लाठी और डंडों से हमला किया। इस दौरान घोष सहित 30 से अधिक छात्रों को एम्स ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया।
शनिवार को जेएनयू छात्रसंघ ने आरोप लगाया कि पुलिस को 5 जनवरी को हिंसा होने से बहुत पहले भीड़ के जमा होने की सूचना दी गई थी जिसकी उसने अनदेखी की। जेएनयू छात्रसंघ ने दावा किया कि उन्हें अपराह्न तीन बजे इसकी सूचना दी गई और अपराह्न तीन बजकर सात मिनट पर पुलिस इसे पढ़ चुकी थी, बावजूद इसके अनदेखी की गई। यह भी आरोप लगाया कि छात्राओं और छात्रसंघ पदाधिकारियों पर हमले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के लोग शामिल थे।
हिंसा की जांच के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पांच सदस्यीय टीम का गठन किया है। इसके साथ ही यूनिवर्सिटी के डीन ने सभी वॉर्डन को निर्देश दिया है कि इस बात को सुनिश्चित किया जाय कि हॉस्टल में कोई बाहरी व्यक्ति की मौजूदगी न हो। बाहरी व्यक्ति के मिलने पर स्टूडेंट्स पर कार्रवाई की जाए। डीन उमेश ए कदम ने सीनियर वॉर्डन को निर्देश दिया है। उन्होंने कहा है कि वसंत कुंज थाने की तरफ से 7 जनवरी को पत्र मिला है, जिसमें रजिस्ट्रार को सुझाव दिया गया है कि वह इस बात का ऑडिट कराए कि हॉस्टल में कोई बाहरी व्यक्ति तो नहीं रह रहा और ऐसा पाए जाने पर तत्काल थाना प्रभारी को सूचित किया जाए।
इस पर जेएनयू के वाइस चांसलर एम जगदीश कुमार ने कहा है कि हॉस्टल में रह रहे छात्र बाहरी व्यक्ति हो सकते हैं। उनके हिंसा में शामिल होने की संभावना है, क्योंकि उनका विश्वविद्यालय से कोई लेना-देना नहीं है। इससे पहले वीसी ने कहा था कि जांच के बाद ही सच्चाई सामने आएगी।
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