नई दिल्ली: सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से कहा है कि वे अपने कर्मचारियों को 8 जनवरी की प्रस्तावित हड़ताल (Strike) से दूर रहने को कहें. 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने बुधवार को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है. सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों से इसके साथ ही कामकाज के सुचारू तरीके से संचालन को आपात योजना भी तैयार करने की सलाह दी है.

10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने दावा किया है कि 8 जनवरी को राष्ट्रव्यापी हड़ताल में करोड़ों लोग शामिल होंगे. सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ हड़ताल का आह्वान किया गया है. ट्रेड यूनियनों इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, एसईडब्ल्यूए, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ, यूटीयूसी सहित विभिन्न संघों और फेडरेशनों ने पिछले साल सितंबर में 8 जनवरी, 2020 को हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी.

एक कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है, कोई भी कर्मचारी यदि हड़ताल पर जाता है तो उसे इसका नतीजा भुगतना होगा. उसका वेतन काटने के अलावा उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है.

Department of Personnel and Training ने सभी केंद्रीय कर्मचारियों को हड़ताल में नहीं शामिल होने का आदेश जारी किया गया है. इसमें किसी भी कर्मचारी को आकस्मिक अवकाश नहीं लेने का आदेश दिया गया है. DoPT ने नियमों का हवाला देते हुए कहा है कि बिनी किसी स्वीकृति के किसी भी कर्मचारी के गैर हाजिर होने पर वेतन और भत्ता स्वीकार नही किया जाएगा.

ट्रेड यूनियनों ने कहा, श्रम मंत्रालय अब तक श्रमिकों को उनकी किसी भी मांग पर आश्वासन देने में विफल रहा है. श्रम मंत्रालय ने दो जनवरी, 2020 को बैठक बुलाई थी. सरकार का रवैया श्रमिकों के प्रति अवमानना का है. छात्रों की ओर से हड़ताल का एजेंडा बढ़ी फीस और शिक्षा के व्यावसायीकरण का विरोध करने का है.

यूनियनों ने इस बात पर नाराजगी जताई कि जुलाई, 2015 से एक भी भारतीय श्रम सम्मेलन का आयोजन नहीं हुआ है. इसके अलावा यूनियनों ने श्रम कानूनों की संहिता बनाने और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण का भी विरोध किया है.