नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ चाहता है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार अब नागरिकता (संशोधन) कानून जैसे मुद्दों पर अनुकूल परिणामों के बाद अर्थव्यवस्था और नई शिक्षा नीति जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करे।

दरअसल, CAA पड़ोसी मुल्क से आने वाले गैर-मुस्लिमों पीड़ितों को नागरिकता देने के लिए बनाया गया कानून है। दिसंबर में पारित इस कानून के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आए हिंदू, सिख, ईसाई व बौद्ध धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता दी जानी हैं। संघ इस कानून के बारे में लोगों के बीच जाकर उन्हें समझा रही है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 9 नवंबर को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में हिंदू पक्षों के पक्ष में फैसला सुनाए जाने के एक महीने बाद ही सीएए कानून बनाया गया है। इसके पहले अगस्त में, संविधान के अनुच्छेद 370 को जम्मू और कश्मीर से समाप्त कर दिया था।

एक के बाद एक बड़े फैसले भाजपा सरकार द्वारा लिए जाने के बाद आरएसएस चाहता है कि भाजपा सरकार अब देश की अर्थव्यवस्था व शिक्षा जैसे मुद्दे पर ध्यान दे। दरअसल, आरएसएस लंबे समय से भारतीय शिक्षण प्रणाली में बदलाव चाहता है।

नाम न छापने की शर्त पर हिंदुस्तान टाइम्स से बात करने वाले संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि जनवरी में आरएसएस नेताओं और सरकार के प्रतिनिधियों के बीच शिक्षा, अर्थव्यवस्था, व्यापार और वाणिज्य और संस्कृति जैसे मुद्दों पर चर्चा के लिए कई बैठकें आयोजित की गई हैं।

इस तरह की बैठकों में आमतौर पर आरएसएस के महासचिव और संयुक्त महासचिव शामिल होते हैं, जो भाजपा का वैचारिक रीढ़ हैं। इसके अलावा संगठन के अन्य सहयोगी संगठनों के नेता भी सरकार के समक्ष अपने विचार रखते हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि राम मंदिर विवाद का समाधान एक तरह से देखा जाए तो हमसबों के लिए बड़ी उपलब्धि है। लेकिन संघ को लगता है कि और अधिक करने की आवश्यकता है और आगे बढ़ने पर विशेष रूप से अर्थव्यवस्था और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।