नई दिल्ली: साइरस मिस्त्री पर नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएएलटी) के आदेश के खिलाफ टाटा संस ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। एनसीएएलटी ने टाटा सन्स के चेयरमैन पद से साइरस मिस्त्री के हटाने को अवैध ठहरा दिया था और उन्हें इस पद पर फिर से बहाल करने का आदेश दिया था।

कंपनी ने बोर्ड की बैठक से पहले अंतरिम राहत मांगी है, जो 9 जनवरी को आयोजित होने की संभावना है। यह मामला अभी तक सुनवाई के लिए तय नहीं किया गया है।

न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की अगुवाई वाली एनसीएलएटी की दो सदस्यीय पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि मिस्त्री के खिलाफ रतन टाटा के उठाए गए कदम परेशान करने वाले थे। पीठ ने नए चेयरमैन की नियुक्ति को भी अवैध ठहराया। कोर्ट ने कहा था कि टाटा संस को पब्लिक कंपनी से निजी बनाने का फैसला भी गैर कानूनी है और इसे पलटने का आदेश दिया जाता है। यह आदेश चार सप्ताह में लागू होगा और टाटा समूह के पास इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का भी विकल्प है।

साइरस मिस्त्री टाटा संस के छठे चेयरमैन थे और उन्हें इस पद से अक्टूबर 2016 में हटा दिया गया था। रतन टाटा के बाद उन्होंने 2012 में चेयरमैन का पद संभाला था। समूह के 150 साल के इतिहास में मिस्त्री चेयरमैन बनने वाले टाटा परिवार से बाहर के दूसरे व्यक्ति थे।

सितंबर 2017 में टाटा संस को पब्लिक से प्राइवेट कंपनी बनाने के लिए शेयरधारकों ने मंजूरी दी थी। उसके बाद रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) ने टाटा संस को निजी कंपनी के तौर पर दर्ज किया था। सायरस मिस्त्री परिवार इसके खिलाफ था। क्योंकि निजी कंपनी होने से वे अपने शेयर बाहरी लोगों को नहीं बेच सकते, बल्कि टाटा को ही बेचने पड़ेंगे। जबकि, पब्लिक लिमिटेड कंपनी के शेयरधारक किसी को भी अपनी हिस्सेदारी बेच सकते हैं। मिस्त्री ने टाटा सन्स के प्रबंधन में खामियों और अल्प शेयरधारकों को दबाने के आरोप लगाए थे।