नई दिल्ली: मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी (सीपीएम) नेता प्रकाश करात ने कहा कि केरल और पश्चिम बंगाल की तरह 10 और राज्यों के मुख्यमंत्री अपने वादे पर टिके रहे और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) का काम रोक दें, तो एनपीआर को लेकर केंद्र की योजना ‘दफन’ हो जाएगी। करात चेन्नई में वामपंथ समर्थित संगठन की ओर से नागरिकता कानून में संशोधन के विरोध में आयोजित एक सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम भी मौजूद थे।

केरल और पश्चिम बंगाल सरकारों द्वारा अपने-अपने राज्यों में एनपीआर का काम रोकने के आदेश देने का जिक्र करते हुए करात ने कहा, ‘अब तक 12 राज्यों ने ऐलान किया है कि वे एनपीआर नहीं होने देंगे। केरल और पश्चिम बंगाल ने जो किया है, दस और मुख्यमंत्रियों को (ऐसा) करना होगा।’

उन्होंने कहा, ‘नरेंद्र मोदी सरकार संविधान पर त्रिशूल प्रहार करने वाली है। पहला नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) है, दूसरा राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) है और तीसरा राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) है। तीनों आपस में जुड़े हैं। तीनों एक ही पैकेज के हैं और इन्हें अलग-अलग नहीं किया जा सकता है।

करात ने कहा कि नागरिकता कानून के खिलाफ देश भर में प्रदर्शन के कारण भाजपा सरकार समझ गयी है कि एनआरसी लागू करने में सावधानी बरतनी होगी। उन्होंने कहा यही कारण है कि वे (भाजपा) पैंतरेबाजी कर रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि एनपीआर का एनआरसी से कोई लेना-देना नहीं है।

इस कार्यक्रम में प्रकाश करात के अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और डीएमके की नेता कनिमोझी ने भी हिस्सा लिया था।

चिदंबरम ने कहा कि भाजपा सरकार जब से बड़े जनमत के साथ सत्ता में आई है वह एनपीआर, सीएए और एनआरसी जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘ वे किसी तरह से हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं। अगर हिंदू राष्ट्र लागू हुआ तो इससे न केवल मुस्लिमों का नुकसान होगा बल्कि दलितों का नुकसान भी होगा।’ उन्होंने कहा कि देशभर में हो रहे सीएए के खिलाफ प्रदर्शनों को सरकार बनाम मुस्लिम की तरह नहीं देखना चाहिए क्योंकि सरकार तो यही चाहती है।