नई दिल्ली: संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में प्रदर्शन में शामिल होने पर एक जर्मन विद्यार्थी के बाद अब नॉर्वे की एक महिला को भी इसी तरह के प्रदर्शन में हिस्सा लेने पर भारत छोड़ने के लिए कहा गया है।

विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) के अधिकारी अनूप कृष्णन ने बताया,‘‘ हमारी जांच में पाया गया कि उसने वीजा नियमों का उल्लंघन किया है और इसलिए उसे जाने के लिए कहा गया।’’ कोच्चि में 23 दिसंबर को सीएए विरोधी प्रदर्शन में जेने मेटे जोहानसन के हिस्सा लेने की तस्वीरें और वीडियो साशेल मीडिया पर फैलने के बाद बृहस्पतिवार को आव्रजन अधिकारियों ने उनसे पूछताछ की।

गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले एफआरआरओ ने मामले की जांच की। कार्यालय के अधिकारी फोर्ट कोच्चि में होटल में उसके कमरे में गये और उन्होंने उनसे पूछताछ के लिए कोच्चि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा कार्यालय पहुंचने को कहा। जोहानसन ने अपनी फेसबुक पोस्ट में कहा कि आव्रजन अधिकरण ब्यूरो ने उन्हें ‘फौरन’ देश छोड़ कर जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने फेसबुक पर लिखा, ‘‘मुझे तत्काल देश छोड़कर जाने के लिए कहा गया है अथवा मेरे खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की बात कही गई है।’’

स्वीडन में बस चुकीं इस महिला (71) ने कहा कि जब उन्होंने इस पर स्पष्टीकरण मांगा अथवा लिखित में कुछ देने के लिए कहा तो अधिकारियों ने कहा कि लिखित में कुछ नहीं दिया जाएगा। जोहानसन ने बताया कि उनका एक मित्र दुबई के लिए टिकट की व्यवस्था कर रहा है, जहां से वह स्वीडन के लिए फ्लाइट लेंगी।

महिला ने कहा, ‘‘ब्यूरो के अधिकारी बिना टिकट देखे मुझे छोड़ नहीं रहे हैं।’’ बाद में फेसबुक से यह पोस्ट हटा ली गई। महिला पर्यटन वीजा पर आई थीं और शहर में 23 दिसंबर को हुए प्रदर्शन में शामिल होने के बाद से अधिकारियों की नजर में थीं।

उन्होंने फेसबुक पर एक अन्य पोस्ट में कहा कि उन्होंने सीएए के विरोध में ‘पीपुल्स लॉग मार्च’ में हिस्सा लिया। चेन्नई में एक ऐसी ही घटना में जर्मन विद्यार्थी जैकब लिंढेनथाल ने आईआईटी मद्रास में एक प्रदर्शन में हिस्सा लिया। उसने हाथ में हिटलर के दौर में 1933-45 के दौरान नाजियों के हाथों यहूदियों के दमन की तरफ इशारा करने वाली एक तख्ती ली थी। वह इसी सप्ताह के प्रारंभ में वह अपने देश जर्मनी लौट गया। वह आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत भारत आया था और आईआईटी मद्रास की भौतिकी विभाग से जुड़ा था।