नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएए) के खिलाफ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने गए विपक्षी पार्टियों के प्रतिनिधिमंडल से शिवसेना नदारद रही, जिसके बाद पार्टी के नेता संजय राउत सामने आए और अपनी सफाई दी है। उन्होंने कहा है कि पार्टी के प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने का कोई कारण नहीं था। हमें विपक्षी नेताओं के साथ क्यों जाना चाहिए था, यह एक फालतू सवाल था।

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, संजय राउत ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि शिवसेना ने भले ही महाराष्ट्र में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन किया, लेकिन अभी भी दिल्ली में उसकी अपनी पहचान है। राउत ने साफ कर दिया कि शिवसेना कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा कि हम यूपीए के साथ नहीं हैं। हम (बीजेपी नीत) एनडीए से बाहर हैं, लेकिन यूपीए के साथ नहीं हैं। संसद में हमारी अपनी पहचान है।

बता दें कि शिवसेना ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक के लिए मतदान किया था। हालांकि, राज्यसभा में पार्टी ने वोट नहीं किया और सरकार के मंशा पर सवाल खड़े किए थे।

इधर, कांग्रेस, एनसीपी और अन्य पार्टियों ने एक मोर्चा बनाया है जो संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजी के खिलाफ आज को प्रदर्शन करेगा। इस मोर्चे में भी शिवसेना शामिल नहीं है। मोर्चे की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि पार्टियों ने मिलकर 'हम भारत के लोग' नाम का एक मोर्चा गठित किया है जो यहां अगस्त क्रांति मैदान में विरोध प्रदर्शन करेगा।

मोर्चे ने संशोधित नागरिकता कानून और एनआरसी को 'असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण' करार दिया। कांग्रेस और एनसीपी की महाराष्ट्र इकाई के अलावा सपा, भाकपा, माकपा, जद(एस), पीजे़ंट्स एंड वर्कर्स पार्टी ऑफ इंडिया, मुस्लिम लीग तथा विभिन्न नागरिक संगठन भी इस प्रदर्शन में हिस्सा लेंगे।

मोर्चे ने अपने बयान में कहा कि 19 दिसंबर का दिन ऐतिहासिक है क्योंकि 1927 में आज ही के दिन राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खान और रोशन सिंह जैसे स्वतंत्रता सेनानी फांसी के तख्ते पर चढ़े थे। बयान में इसे देश के स्वतंत्रता संग्राम की समृद्ध विरासत और महात्मा गांधी तथा अन्य राष्ट्रीय नेताओं के साम्प्रदायिक सौहार्द के संदेश का प्रतीक बताया गया है।

इस बयान में कहा गया है, 'डॉ बी आर आम्बेडकर द्वारा तैयार किए गए संविधान का उल्लंघन हो रहा है और उसको निशाना बनाया जा रहा है। यही कारण है कि पूरे देश ने भाजपा सरकार के असंवैधानिक और विभाजनकारी कानूनों की निंदा करने के लिए इस दिन को चुना है।'