नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नागरिकता (संशोधन) कानून की संवैधानिक वैधता की जांच करने का फैसला किया है, हालांकि इसके कार्यान्वयन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इस संबंध में दाखिल लगभग 60 याचिकाओं को लेकर शीर्ष अदालत ने कहा है कि इस पर वह 22 जनवरी को सुनवाई करेगी। साथ ही सर्वोच्च अदालत ने सभी मामलों को लेकर केंद्र से जवाब मांगा है।

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायमूर्ति बीआर गवई और सूर्यकांत की पीठ ने संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में दायर आईयूएमएल, कांग्रेस नेता जयराम रमेश और अन्य की याचिका पर सुनवाई की तारीख 22 जनवरी तय की। पीठ ने कानून के कार्यान्वयन पर रोक लगाने के साथ-साथ विवादास्पद कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली मुख्य याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया।

याचिका दाखिल करने वाले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश, इंडियन मुस्लिम लीग और असम में सत्तारुढ़ भाजपा की सहयोगी पार्टी असम गण परिषद शामिल हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने नए कानून को अपनी व्यक्तिगत क्षमता में चुनौती दी है। उन्होंने 13 दिसंबर को याचिका दायर की थी। वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इसे तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए उल्लेख किया था और कहा कि इस याचिका को इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) द्वारा दायर की गई याचिका के साथ ही सुना जाना चाहिए।

नागरिकता (संशोधन) कानून के अनुसार पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न सहने वाले और 31 दिसम्बर 2014 तक आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के शरणार्थियों को भारतीय नागरिक माना जाएगा। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि नागरिकता देने के लिए धर्म को आधार नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने नए कानून को संविधान के खिलाफ बताया है।

इस नए कानून का पूरे देश में कई जगह विरोध हो रहा है। दिल्ली में जामिया के बाद मंगलवार को सीलमपुर इलाके में हिंसक प्रदर्शन हुए। संशोधित नागरिकता कानून पर राजनीतिक लड़ाई मंगलवार को और तेज हो गई जब विपक्षी दलों ने ‘विभेदकारी' कानून के खिलाफ राष्ट्रपति से गुहार लगाई जबकि गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ‘चाहे जो हो' तीन पड़ोसी देशों के गैर मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता मिलेगी।

नागरिकता कानून में संशोधन के खिलाफ कई विपक्षी दलों ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में एकजुटता दिखाई और सरकार पर लोगों की ‘आवाज दबाने' का आरोप लगाया।

विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया में छात्रों पर हुई पुलिसिया कार्रवाई और देश में अन्य जगहों पर हो रहे प्रदर्शनों को लेकर प्रहार किया। सोनिया गांधी ने तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, वामपंथी दलों सहित 12 विपक्षी दलों के नेतृत्व में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई कर रहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार जनता की आवाज दबा रही है और ऐसे कानून ला रही है जो लोगों को मंजूर नहीं हैं। राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद उन्होंने मीडिया से कहा, ‘हम सभी 12 विभिन्न सियासी दलों के प्रतिनिधियों ने राष्ट्रपति से मिलकर उनसे पूर्वोत्तर के हालात पर हस्तक्षेप की मांग की जो अब पूरे देश में होते जा रहे हैं जिसमें यहां जामिया भी शामिल है।' सोनिया ने कहा, ‘यह बहुत गंभीर परिस्थिति है. हमें डर है कि यह और ना बढ़ जाए। हम भारत भर में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों से निपटने के पुलिस के तरीके से क्षुब्ध हैं।' उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मी जामिया मिल्लिया इस्लामिया में महिला छात्रावासों में घुस गये और उन्होंने विद्यार्थियों की निर्मम पिटाई की।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन पर पलटवार किया और आरोप लगाया कि कांग्रेस के ‘मित्र' झूठ फैला रहे हैं और मुस्लिमों के बीच भय पैदा कर रहे हैं। नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के बीच मोदी ने झारखंड में एक चुनावी रैली में विपक्ष को चुनौती दी कि वे घोषणा करें कि सभी पाकिस्तानियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करेंगे। वहीं गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नागरिकता (संशोधन) कानून, 2019 के कारण कोई भी भारतीय अपनी नागरिकता नहीं खोएगा और यह कानून तीनों पड़ोसी देशों में अत्याचार का शिकार बने अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए बनाया गया है। उन्होंने कानून का विरोध करने वाले छात्रों से कहा कि इसे ठीक से पढ़ें और इसके अर्थ को समझें। उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपने मुस्लिम भाइयों- बहनों से कहना चाहता हूं कि आपको डरने की जरूरत नहीं है। जो लोग भारत में रह रहे हैं, उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। कोई भी भारतीय नागरिकता खोने नहीं जा रहा है। कांग्रेस लोगों को भ्रमित करने का प्रयास कर रही है। कानून वेबसाइट पर है। इसे पढ़िए। नरेन्द्र मोदी ‘सबका साथ, सबका विकास’ में विश्वास करते हैं। किसी से भी अन्याय नहीं किया जाएगा।’’