नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून पर बवाल के बीच पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम का बयान आया है। उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि जो पहले से ही पाकिस्तान के नागरिक हैं, उन्हें नागरिकता क्यों देनी चाहिए? गौरतलब है कि नागरिकता कानून में नए संशोधन को लेकर लगातार देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन हो रहे हैं। नागरिकता कानून की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी गई है।

पी चिदंबरम ने ट्वीट किया कि जो पहले से ही पाकिस्तान के नागरिक हैं, उन्हें हमें क्यों नागरिकता देनी चाहिए। विपक्ष को ऐसी चुनौतियों का क्या मतलब है? उन्होंने आगे लिखा कि यह सुखद है कि छात्र और युवा पीढ़ी उदार, धर्मनिरपेक्ष, सहिष्णु हैं और मानवतावाद का प्रदर्शन करते हैं। क्या सरकार इन मूल्यों को चुनौती दे रही है?

नागरिकता (संशोधन) कानून के अनुसार पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न सहने वाले और 31 दिसम्बर 2014 तक आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के शरणार्थियों को भारतीय नागरिक माना जाएगा। गौरतलब है कि जब से संसद की दोनों सदनों ने नागरिकता संशोधन बिल पर मुहर लगाई है और राष्ट्रपति ने इसे मंजूरी दी है, तब से इसके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं।

नागरिकता कानून को लेकर देशभर में हो रहे प्रदर्शन और पुलिस की कार्रवाई पर विपक्षी दलों के नेताओं ने मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। नेताओं ने कहा कि नागरिकता कानून को किसी भी तरह से मंजूर नहीं किया जा सकता है और इसे वापस लिया जाना चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, 'प्रदर्शन करना लोकतांत्रिक हक है लेकिन मोदी सरकार जनता की आवाज दबा रही है।'

सोनिया गांधी ने कहा कि नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों और दिल्ली में हालात तनावपूर्ण हैं। जिस तरह पुलिस शांतिपूर्ण प्रदर्शनों से निपट रही है, हमें डर है कि यह आग और फैल सकती है। हमने राष्ट्रपति से मामले में दखल देने को कहा है। उन्होंने कहा कि हमारे पास दिल्ली में एक उदाहरण है जब पुलिस जामिया यूनिवर्सिटी में छात्राओं के हॉस्टल में घुसी। आखिर प्रदर्शन करना लोगों का लोकतांत्रिक हक है लेकिन मोदी सरकार उनकी आवाज दबा रही है। राष्ट्रपति से मुलाकात करने वाले नेताओं में कांग्रेस के कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद, सपा के रामगोपाल यादव, सीपीआई (एम) के सीताराम येचुरी और डी राजा आदि थे। विपक्षी दलों ने इस संबंध में एक ज्ञापन भी राष्ट्रपति को सौंपा।