नई दिल्ली: देश में नागरिकता कानून में संशोधन के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन पर अमेरिका के सुर सख्त हो रहे हैं। अमेरिका ने भारत को नसीहत दी है कि वह लोगों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के अधिकारों की रक्षा करे।

चार दिन पहले ही अमेरिका ने भारत से धार्मिक रूप से अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने का आग्रह किया था। अमेरिका ने कहा था कि भारत को अपने संवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखना चाहिए। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने वाशिंगटन डीसी में जारी एक बयान में कहा कि हम नागरिकता संशोधन कानून के संबंध में हो रही घटनाओं पर करीब से नजर बनाए हुए हैं।

हमने सरकार से लोगों के शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन के अधिकारों की रक्षा करने को कहा है। हमने प्रदर्शनकारियों से भी हिंसा से बचने का आग्रह किया है। अमेरिका की तरफ से यह बयान ऐसे समय आया है जब देशभर में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। विशेष रूप से छात्र इस नए संशोधित नागरिक कानून का विरोध कर रहे हैं।

अमेरिकी विदेश विभाग ने 13 दिसंबर को कहा था कि दोनों देशों के लोकतांत्रिक सिद्धांतों में धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान और सभी के साथ समान व्यवहार मूलभूत सिद्धांत हैं। अमेरिका ने भारत से आग्रह किया था कि वह भारत के संवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखते हुए धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करे।

नागरिकता कानून में संशोधन को लेकर अमेरिकी सरकार ने अभी तक भारत के कदम की आलोचना नहीं की हैं। हालांकि, भारत के संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों का हवाला देते हुए अमेरिका भारत पर दबाव बना रहा है। पिछले सप्ताह अमेरिका विदेश मामलों की समिति ने एक ट्वीट में कहा था कि धार्मिक बहुलतावाद भारत और अमेरिका का आधार हैं और यह वो मूल्य है जिसे दोनों देश साझा करते हैं।

इस बीच अमेरिकी कांग्रेस सदस्य आंद्रे कार्सन ने नागरिकता कानून की आलोचना की है। कार्सन का कहना है कि भारत में मुस्लिमों की आबादी को प्रभावी रूप से कम करने का यह एक और प्रयास है। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने के बाद से भारत पर अमेरिकी कांग्रेस की निगरानी बढ़ गई है।