नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने सोमवार को कहा कि उसकी अपराध शाखा जामिया हिंसा की जांच करेगी और लोगों को सोशल मीडिया की अफवाहों पर कोई ध्यान नहीं देना चाहिए। पुलिस ने जोर देकर कहा कि घटना के दौरान कोई गोलीबारी नहीं हुई।

दिल्ली पुलिस के जन संपर्क अधिकारी एम एस रंधावा ने कहा कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के उकसावे के बावजूद अधिकतम संयम दिखाया और न्यूनतम शक्ति का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा, ‘‘जामिया हिंसा के दौरान गोलियां नहीं चलायी गयी, कोई हताहत नहीं हुआ। अपराध शाखा जामिया हिंसा की जांच करेगी। गहन जांच की जाएगी और जवाबदेही तय की जाएगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ हिंसा के दौरान डीटीसी की चार बसों, 100 निजी वाहनों और पुलिस की 10 मोटरसाइकिलों को नुकसान पहुंचाया गया। एक पुलिसकर्मी आईसीयू में है।’’ दिल्ली पुलिस के पीआरओ ने बताया कि 29 लोगों को अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मेडिकल जांच की गई।

रंधावा ने कहा कि पुलिस सोशल मीडिया पर नजर रख रही है और सभी सीसीटीवी कैमरों और सोशल मीडिया पर प्रसारित वीडियो की जांच की जाएगी और मामले में कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘हम सोशल मीडिया पर नजर रख रहे हैं। मैं विद्यार्थियों एवं आम लोगों से अफवाहों पर ध्यान नहीं देने की अपील करता हूं।’’

अधिकारी ने कहा कि जामिया में विरोध प्रदर्शन शुक्रवार को शुरू हुआ और सराय जुलेना और सुहेलदेव नगर में पुलिस कर्मियों की तैनाती के साथ उचित व्यवस्था की गई। रंधावा ने कहा कि जब छात्र इन स्थानों पर पहुंचे, तो उन्हें रोक दिया गया और उन्होंने अधिकतम संयम बरतने वाले पुलिसकर्मियों को धक्का देने की भी कोशिश की। छात्र थोड़ी देर बाद घटनास्थल से चले गए। अधिकारी ने कहा कि उसके बाद शनिवार को भी विरोध प्रदर्शन हुए लेकिन पुलिस ने अधिकतम संयम बरता जिसके बाद प्रदर्शनकारी वहां से चले गए।

पुलिस ने कहा कि रविवार को, विरोध प्रदर्शन दोपहर 2 बजे के आसपास शुरू हुआ और क्षेत्र के निवासी भी छात्रों के साथ शामिल हो गए। जामिया नगर और आसपास के इलाकों में विरोध प्रदर्शन हुआ। रंधावा ने कहा, ‘‘प्रदर्शनकारियों ने बाद में सराय जुलेना की ओर मार्च किया, तब हमारे कर्मियों को वहां तैनात किया गया और उचित व्यवस्था की गई। प्रदर्शनकारी उकसा रहे थे, लेकिन हमने अधिकतम संयम बरता।’’

शाम के लगभग 4.30 बजे, कुछ प्रदर्शनकारियों ने मार्ग बदल दिया और न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी क्षेत्र में माता मंदिर मार्ग की ओर बढ़ गए, जो एक आवासीय क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि वहां पहुंचने के बाद, जब पुलिस ने उन्हें शांत कराने की कोशिश की, तो उन्होंने तोड़-फोड़ शुरू कर दी। उन्होंने कहा, ‘‘हमें इलाके के भयभीत निवासियों के फोन आने लगे। जब प्रदर्शनकारियों ने बसों में आग लगा दी, तब भी हमने न्यूनतम बल का इस्तेमाल किया।’’

पुलिस पीआरओ ने कहा, ‘‘जामिया नगर की ओर प्रदर्शनकारियों को पीछे धकेलने की कोशिश करने पर पुलिस पर पथराव किया गया। जामिया परिसर सड़क के दोनों किनारों पर स्थित है, जब वहां हिंसा भड़की, उस दौरान वहां बोतलें, बल्ब और ट्यूबलाइट भी फेंके गए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘बाद में स्थिति को काबू किया गया। डीसीपी रैंक के अधिकारियों समेत कम से कम 30 पुलिस कर्मियों को चोटें आईं और उनमें से एक अभी भी गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में है।’’ रंधावा ने कहा, ‘‘कुछ छात्रों को हिरासत में लिया गया था जब पुलिस प्रदर्शनकारियों का पीछा कर रही थी और उन्हें जामिया नगर की ओर खदेड़ने की कोशिश कर रही थी। बाद में, उन्हें छोड़ दिया गया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि अवैध गतिविधि में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हम इस घटना में शामिल लोगों की पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या पुलिसकर्मियों ने महिला छात्रावास में प्रवेश किया था, अधिकारी ने आरोपों का खंडन किया और कहा कि पुलिस ने केवल विश्वविद्यालय के प्रशासनिक खंड में प्रवेश किया था। पुलिस ने कहा कि वे घटना के सिलसिले में विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्र संघों के साथ बातचीत कर रहे हैं।