नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून को लेकर असम में उग्र प्रदर्शन के बाद अब हालात धीरे-धीरे सामान्य होते दिख रहे हैं। इस कानून पर हो रहे विरोध प्रदर्शन और हिंसा के चलते असम में कुछ संवेदनशील इलाकों में कर्फ्यू लगा दिए गए थे। इंटरनेट सेवाएं बाधित कर दी गई थी। नागरिकता कानून पर जारी उग्र विरोध प्रदर्शन के चलते नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में अस्थिरता बनी हुई है। सरकार ने इन राज्यों में भारी संख्या में पुलिसबलों की तैनाती की है। लेकिन अब राज्य में स्थिति सामान्य होने लगी है। राज्य में इंटरनेट सेवाएं बहाल कर दी गई हैं और कर्फ्यू भी हटा लिया गया है।
मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की अध्यक्षता में कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक में यह फैसला लिया गया था। असम सरकार ने सोमवार को घोषणा की था कि गुवाहाटी में 11 दिसंबर को लगाए कर्फ्यू को मंगलवार सुबह हटा लिया जाएगा। बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून पर जारी उग्र विरोध प्रदर्शन की वजह से पूर्वोत्तर के राज्यों में अस्थिरता बनी हुई है। सैन्यबल की तैनाती के साथ कई संवेदनशील इलाकों में कर्फ्यू लगा है।
असम की स्थिति को देखते हुए वहां के मंत्री हेमंत बिस्वसरमा ने दावा किया था कि मंगलवार से असम के हर हिस्से से कर्फ्यू पूरी तरह हटा लिया जाएगा। रात में भी कर्फ्यू नहीं लगाया जाएगा। ब्रॉडबैंड और इंटरनेट कनेक्टिविटी सेवाएं मंगलवलार से ही बहाल कर दी जाएंगी। असम सरकार ने राज्य में शांति बहाली के बाद कर्फ्यू हटाने का फैसला किया गया है। बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ असम में कई जगहों पर प्रदर्शन हुआ, जिसके बाद प्रशासन ने इंटरनेट सेवाएं ठप कर दी थी।
असम में 16 दिसंबर तक इंटरनेट सेवाओं को बंद किया गया था। इसके अलावा स्कूल और कॉलेज को भी बंद करने का ऐलान किया गया था। अधिकारियों ने दावा किया कि परिस्थिति सामान्य होने पर ही इंटरनेट सेवाएं बहाल की जाएंगी। हालांकि बंद के बाद भी शनिवार को कुछ इलाकों में कुछ घंटो के लिए ब्रॉडबैंड सेवाएं चालू हो गई थीं।
इससे पहले गुवाहाटी में नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे AASU एडवाइजर समुजल भट्टाचार्य, महासचिव लुरिनज्योति गोगोई समेत 1000 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया।
नागरिकता संशोधन विधेयक के संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद कानून बनने पर गुवाहाटी के साथ-साथ असम के अन्य हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन हुए। यह कानून 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश के हिंदुओं, सिखों, पारसी, जैन व बौद्ध लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करेगा। कानून के अनुसार, इन समुदायों को अवैध अप्रवासी नहीं माना जाएगा और इन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी।
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