नई दिल्ली: स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने भी केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने के प्रस्ताव विरोध किया है। एसजेएम हरिद्वार में हुई 14वीं राष्ट्रीय सभा में कहा गया कि कारोबार करना बेशक सरकार का काम नहीं है लेकिन इन्हें बेचने से न सिर्फ पीएसयू के असली मालिक यानी देश के नागरिकों को उनके निवेश का वाजिब मूल्य पाने से रोकना होगा बल्कि इन पीएसयू से वस्तुएं अथवा सेवाएं खरीने वालों के साथ अन्याय करना भी होगा। रविवार को हुई राष्ट्रीय सभा में इस संबंध में एक प्रस्ताव भी पारित किया गया।

एसजेएम ने हा है कि पीएसयू का रणनीतिक विनिवेश न सिर्फ कारोबारी दृष्टि से गलत होगी बल्किन राष्ट्रीय हितों के खिलाफ होगा। सरकार को औने-पौने मूल्य में पीएसयू उद्योग घरानों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को बेचने की योजना से बचना चाहिए। एसजेएम का कना है कि पीएसयू का सही मूल्यांकन करना चाहिए, रणनीतिक आवश्यकता समझनी चाहिए और पीएसयू को लाभ में लाने का प्रयास करना चाहिए। इसके बाद रणनीतिक तौर पर उन्हें बेचने के बारे में विचार करना चाहिए।

एसजेएम के अनुसार सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया और ऑयल मार्केटिंग कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) को फिलहाल बेचने की कोई आ‍वश्यकता नहीं है। फिलहाल एयर इंडिया के पुनर्गठन, पेशेवर प्रबंधन की आवश्यकता है, न कि विनिवेश करने की। यह भावनात्मक मुद्दा नहीं है बल्किन पूरी तरह कारोबारी आवश्यकता है। बीपीसीएल के बारे में एसजेएम का कहना है कि यह सरकारी कंपनी पेशेवर तरीके से अंतरराष्ट्रीय मानकों पर प्रदर्शन कर रही है और मुनाफा कमाकर सरकार के खजाने में लाभांश दे रही है।

विनिवेश के जरिये निवेश लाने से कंपनी को कोई फायदा नहीं होगा। इसी तरह की रणनीतिक हिंदुस्तान जिंक के मामले में गलत साबित हुई। अगर सरकार बीपीसीएल में अपनी हिस्सेदारी घटाना ही चाहती है तो छोटे निवेशकों को शेयर जारी करके बाजार में इसकी लिस्टिंग करवानी चाहिए। सउदी अरामको की इसकी हिस्सेदारी में दिलचस्पी की अफवाहें गलत संकेत दे रही हैं। विदेशी कंपनी को हिस्सेदारी देना न िसर्फ अस्वीकार्य है बल्कि खतरनाक भी है।

इसी तरह शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एससीआइ) और कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआइ) के रणनीतिक विनिवेश की भी योजना कोई अच्छा कारोबारी फैसला नहीं है। जब सरकार रोड, फ्रेट इन्फ्रास्ट्रक्चर, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीजोर, और इंडस्ट्रियल कॉरीडोर पर पिछले पांच साल में हर साल करीब 5 लाख करोड़ रुपये खर्च कर रही है, ऐसे समय में ये दोनों ही लॉजिस्टिक पीएसयू भारतीय निर्माताओं को सेवाएं देकर अच्छा फायदा उठा सकते हैं, ऐसे में इन्हें बेचना कोई समझदारी नहीं है। एससीआइ एकमात्र भारतीय शिपिंग कंपनी है जिसके शिप पूरी दुनिया में सेवाएं दे रहे हैं। अगले पांच साल में देश की अर्थव्यवस्था दोगुनी करने में एससीआइ ने अहम भूमिका है।

एसजेएम का कहना है कि इक्विटी बेचकर एकबार में पैसा बनाना अच्छा कारोबारी फैसला नहीं है जबकि सकार का कर राजस्व लक्ष्य से कम है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमऩ ने हाल में संकेत दिया था कि पांच पीएसयू में निवेश से सरकार को एक लाख करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा 28 और पीएसयू में हिस्सेदारी बेचने की योजना है। इनमें हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लि. (एचएल), पवन हंस, रूरल इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (आरईसी) भी शामिल हैं।

एसजेएम की राष्ट्रीय सभा ने मांग की कि पीएसयू पर नीति आयोग की रिपोर्ट को खारिज किया जाना चाहिए और पीएसयू का मूल्यांकन नए सिरे से किया जाना चाहिए। मूल्यांकन के समय अगले पांच साल में जीडीपी दोगुना करने के लक्ष्य को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। पीएसयू के लिए व्यापक नीति बनाई जाए और देश को मजबूत बनाने के लिए उनकी भूमिका परिभाषित की जानी चाहिए। एयर इंडिया और बीएसएनएल जैसे कई पीएसयू की रणनीतिक आवश्यकता है, इन्हें मुनाफे में लाने के प्रयास होने चाहिए। मुनाफा कमा रहे पीएसयू के विनिवेश पर राष्ट्रीय बहस होनी चाहिए और पहले हुए एचपीसीएल जैसे विनिवेश पर व्हाइट पेपर जारी किया जाना चाहिए। रणनीतिक विनिवेश में किसी खास उद्योग घराने को फायदा पहुंचाने के लिए भ्रष्टाचार हो सकता है, इसलिए इसकी पारदर्शी व्यवस्था की जानी चाहिए और सभी पक्षों के हितों के बीच संतुलन बनाना चाहिए।