नई दिल्ली: देश में विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट और कृषि क्षेत्र में पिछले साल के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत पर रह गयी।

एक साल पहले 2018-19 की इसी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 7 प्रतिशत थी। वहीं चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 5 प्रतिशत थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा शुक्रवार को जारी जीडीपी आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2019-20 की जुलाई-सितंबर के दौरान स्थिर मूल्य (2011-12) पर जीडीपी 35.99 लाख करोड़ रुपये रहा जो पिछले साल इसी अवधि में 34.43 लाख करोड़ रुपये था।

यह 7 साल में किसी एक तिमाही की सबसे बड़ी गिरावट है। इस प्रकार, दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत रही। आलोच्य तिमाही में कृषि, वानिकी और मत्स्यन पालन क्षेत्र में 2.1 प्रतिशत और खनन और उत्खनन में 0.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी।

नई सीरीज के मुताबिक इससे पहले वित्त वर्ष 2012-13 की चौथी तिमाही में विकास दर 4.3 फीसदी थी। 4.5 फीसदी विकास दर 26 तिमाही में सबसे कम है। जबकि वित्त वर्ष 2017-19 की दूसरी तिमाही में विकास दर 7 फीसदी रही थी। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही विकास दर 4.8 फीसदी रही है। जबकि पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही विकास दर 7.5 फीसदी थी।

चीन की विकास दर जुलाई सितंबर तिमाही में 6 फीसदी रही जो उसकी 27 साल की सबसे सुस्त रफ्तार थी। जबकि भारत की विकास दर महज 4.5 फीसदी रही। इस तरह भारत विकास दर के मामले में बहुत पिछड़ गया है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने जीडीपी विकास दर का अनुमान चालू वित्त वर्ष के लिए घटाकर 6.1 फीसदी कर दिया है। जबकि पहले उसने 6.9 फीसदी विकास दर का अनुमान लगाया था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक निजी खपत व्यय की विकास दर दूसरी तिमाही में सिर्फ 5.06 फीसदी रही जबकि पिछले साल इसमें 9.8 फीसदी वृद्धि रही थी।

उधर, सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कोर सेक्टर के उत्पादन में गिरावट और तेज हो गई। अक्टूबर के दौरान कोर सेक्टर के उत्पादन में गिरावट 5.8 फीसदी रही जबकि सितंबर यह रफ्तार 5.2 फीसदी थी। कोर सेक्टर के बिजली क्षेत्र में गिरावट की रफ्तार अक्टूबर में बढ़कर 12.4 फीसदी हो गई जबकि सितंबर में गिरावट 3.7 फीसदी थी। बिजली क्षेत्र में भारी गिरावट आने के कारण समूचे कोर सेक्टर के उत्पादन में गिरावट तेज हो गई। इस सेक्टर में कोयला, कच्चा तेल, नेचुल गैस, स्टील, सीमेंट, उर्वरक और रिफाइनरी उत्पाद शामिल हैं। समूचे औद्योगिक उत्पादन में कोर सेक्टर की हिस्सेदारी 4.027 फीसदी है। कोयला क्षेत्र में गिरावट 17.6 फीसदी रही जबकि सितंबर में यह 20.5 फीसदी थी। स्टील, सीमेंट में भी गिरावट का रुख रहा है। सिर्फ रिफाइनरी उत्पादों में आंकड़ा ग्रीन रहा यानी इसमें 0.4 फीसदी की वृद्धि हुई। सितंबर में इसमें 6.7 फीसदी गिरावट रही थी।