प्रोटेम स्पीकर कराएगा शक्ति परीक्षण, गुप्त मतदान नहीं, होगा लाइव टेलीकास्ट

नई दिल्ली: महाराष्ट्र के सियासी संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि महाराष्ट्र विधानसभा में कल (27 नवंबर) को शक्ति परीक्षण होगा। सुप्रीम कोर्ट आदेश के मुताबिक, शक्ति परीक्षण शाम पांच बजे तक संपन्न कराना होगा। बहुमत परीक्षण के लिए कोई गुप्त मतदान नहीं होगा।

सुप्रीम कोर्ट के तीन जज जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट के आदेश के मुताबिक, पहले प्रोटेम स्पीकर सभी विधायकों को शपथ दिलाएंगे, उसके बाद फ्लोर टेस्ट होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘महाराष्ट्र विधानसभा के सभी निर्वाचित सदस्य 27 नवंबर को शपथ लेंगे। हम महाराष्ट्र के राज्यपाल से अनुरोध करते हैं कि वह 27 नवंबर को विश्वास मत सुनिश्चित करें।’ उच्चतम न्यायालय ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा की पूरी कार्यवाही का सीधा प्रसारण होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा में विश्वास मत के लिए गुप्त मतदान नहीं होगा, पूरी प्रक्रिया पांच बजे तक पूरी हो जानी चाहिए।वहीं, शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन की ओर से कोर्ट में पेश कपिल सिब्बल ने मांग की कि अदालत सीएम देवेंद्र फडणवीस पर महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले लेने पर रोक लगाए। हालांकि, कोर्ट ने इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की।

सुप्रीम कोर्ट ने इस बात का भी जिक्र किया कि चुनाव नतीजे घोषित होने के एक महीने बीत जाने के बावजूद विधायकों ने शपथ नहीं ली। कोर्ट के मुताबिक, हॉर्स ट्रेडिंग यानी विधायकों की खरीद-फरोख्त रोकने के लिए फ्लोर टेस्ट का अंतरिम आदेश जरूरी है। बता दें कि भाजपा और शिवसेना गठबंधन, दोनों बहुमत होने का दावा कर रहे हैं। दरअसल, महाराष्ट्र में देवेन्द्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले के खिलाफ शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस ने अदालत में याचिका डाली थी।

बता दें कि महाराष्ट्र की विपक्षी पार्टियों को उम्मीद थी कि शीर्ष अदालत का फैसला उनके हक में आएगा। इसके पीछे कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के पांच अहम फैसलों को आधार माना था। कांग्रेस ने दावा किया था कि यह एकदम संभव है कि शीर्ष अदालत 24 घंटे में शक्ति परीक्षण कराए जाने का आदेश सुनाए।

शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन ने विधायकों की खरीद-फरोख्त की आशंकाओं के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट से जल्द से जल्द बहुमत परीक्षण कराए जाने को लेकर मांग की थी।

वर्तमान महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट और कर्नाटक के 2018 के मामले में कई तरह की समानता है। कर्नाटक के मामले में कांग्रेस का आरोप था कि गर्वनर ने बीजेपी के पास विधायकों के संख्याबल को सुनिश्चित किए बिना बीएय येदियुरप्पा को सरकार गठन के लिए आमंत्रित किया था। तब अदालत ने 24 घंटे के भीतर शक्ति परीक्षण कराने का आदेश दिया था।

तब तीन न्यायमूर्तियों एएस सीकरी, एसए बोबडे और अशोक भूषण की पीठ ने आदेश दिया था कि राज्यपाल द्वारा बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना कानूनी रूप से वैध है या नहीं, यह देखने के लिए विस्तृत सुनवाई की जरूरत है। चूंकि इसमें पर्याप्त समय का लग सकता है और अंतिम फैसला तुरंत नहीं दिया जा सकता है, हम इसे उचित मानते हैं कि दलों के बहुमत का पता लगाने के लिए तुरंत और बिना किसी देरी के शक्ति परीक्षण आयोजित किया जाए। हालांकि राज्यपाल ने अपने पत्र में तारीख 16.05.2018 को प्रतिवादी नंबर 3 (बीजेपी) को आमंत्रित करते हुए कहा कि उन्हें बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है। मामले की सभी परिस्थितियों को देखते हुए इस तरह का फ्लोर टेस्ट कल यानी 19.05.2018 को आयोजित किया जाएगा।

2017 में इसी तरह का मामला गोवा विधानसभा को लेकर था। कांग्रेस ने गोवा के राज्यपाल द्वारा बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस मामले में तीन जजों की पीठ ने 48 घंटे के भीतर फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया था।

2016 के उत्तराखंड ऐसे की एक मामले में शीर्ष अदालत ने 9 मई 2017 को आदेश पारित कर 24 घंटे में फ्लोर टेस्ट का निर्देश दिया था।

2005 के झारखंड के अनिल कुमार झा बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि झारखंड विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए 48 घंटे के भीतर एक फ्लोर टेस्ट आयोजित होना चाहिए।

1998 में भी जगदंबिका पाल से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के लिए 48 घंटे का समय दिया था।