नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर का जायजा लेकर सोमवार को यहां पहुंचे पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि उनकी चार दिवसीय यात्रा यूं तो बेहद सफल रही लेकिन अनुच्छेद 370 के तहत विशेष दर्जा खत्म होने के बाद कश्मीर के हालात सामान्य नहीं हैं। जमीनी हकीकत को छिपाने के लिए जानबूझकर उन्हें बाहर जाने की अनुमति नहीं दी गई। जिस आतंकवाद के नाम पर विशेष दर्जा खत्म किया गया, वह आज भी बरकरार है। भय का माहौल बना हुआ है। उन्होंने चेतावनी दी कि कश्मीर को लेकर अगर केंद्र सरकार ने अपने रूख में बदलाव नहीं किया तो स्थिति और खराब होगी।

पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, "लोगों और व्यक्तियों के विभिन्न समूहों से बात करने के बाद कुल मिलाकर नतीजा यही निकला कि कश्मीर में हालात सामान्य नहीं हैं। केंद्र के विशेष दर्जा खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने से "मनोवैज्ञानिक समस्या" पैदा हो गई है। घाटी में भय का माहौल बना हुआ था।

पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि क्षेत्र के निवासियों को केंद्र के इस बड़े कदम की उम्मीद नहीं की थी जिस पर लोग स्तब्ध रह गए और अब यह स्तब्धता बहुत अधिक भय में बदल गई है। उन्होंने कहा कि पूरा माहौल भय का बना हुआ है। यहां तक कि जो लोग हमें देखने होटल में आए थे, उन्हें भी सुरक्षा बलों द्वारा परेशान किया गया। उन्होंने साफतौर पर कहा कि वे अपने नामों का खुलासा करना पसंद नहीं करेंगे क्योंकि वे निश्चित नहीं थे कि भविष्य में उनके साथ क्या होगा।

सांसद फारूक अब्दुल्ला सहित मुख्यधारा के की राजनीतिक नेताओं को हिरासत में रखने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उनसे फोन पर बात की। सिन्हा ने केंद्र पर घाटी में "एक महत्वपूर्ण बफर को नष्ट करने" का आरोप लगाया क्योंकि वहां अब शिकायत करने वालों की कोई सुनने वाला नहीं है। उन्होंने चुने हुए प्रतिनिधि फारुक अब्दुल्ला को हिरासत में रखने जाने को बहुत "दुर्भाग्यपूर्ण" और "दर्दनाक" करार दिया।

उन्होंने दावा किया कि चूंकि समूह को अपने कार्यक्रम के तहत बाहर जाने की अनुमति नहीं थी, जिसमें श्रीनगर के बाहर के जिलों और कस्बों और गांवों में लोगों से यात्रा करना और बैठक करना शामिल था। यह एक संकेत था कि सरकार बाकी देश के अन्य हिस्सों से वहां की जमीनी हकीकत को छिपाना चाहती थी।

'उन्होंने कहा कि अपने प्रवास के दौरान कई प्रतिनिधिमंडलों और व्यक्तियों से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल को अधिकारियों ने श्रीनगर से बाहर दूसरे इलाकों में जाने से यह कहकर रोक दिया कि वे जिन इलाकों में जाना चाहते हैं, वहां उन्हें आतंकवादियों से खतरा है। यह जानबूझकर सरकार की एक चाल थी। हमने टैक्सियों में यात्रा की, जिलों में गए, लोगों से मिले लेकिन कोई खतरा नहीं था।" उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कश्मीर में आतंकवाद के लिए अनुच्चेद 370 को जिम्मेदार मानती है लेकिन अब जबकि विशेष दर्जा खत्म हुए चार महीने हो गए है तो लोगों को बताया जा रही है कि अभी भी आतंकवाद बना हुआ है। या तो पहली बात सही या फिर दूसरी।

उन्होंने कहा "मैं अपनी यात्रा को सफल कहूंगा क्योंकि यहां तक कि हमें पुलवामा या शोपियां भी जाने की अनुमति नहीं थी बावजूद इसके पुलवामा और शोपियां के लोग हमसे यहां मिले। हमने पंचायत प्रतिनिधियों, बार एसोसिएशन के सदस्यों, किसानों, युवाओं से मुलाकात की।

यह पूछे जाने पर कि क्या वह निकट भविष्य में घाटी में सामान्य स्थिति में लौटगी, इस पर सिन्हा ने कहा कि कश्मीर मुद्दा केंद्र के व्यवहार पर निर्भर करेगा। यदि इसके व्यवहार में कोई बदलाव नहीं होता है, तो यहां की स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा और यदि स्थिति में कोई भी बदलाव आता है, तो यह केवल और खराब होगा।

बता दें कि विशेष दर्जा खत्म होने के बाद कश्मीर की स्थिति और पिछले तीन महीने से बंद के कारण लोगों को हुए आर्थिक नुकसान के आकलन के लिये सिविल सोसाइटी एक प्रतिनिधिमंडल चार दिन की यात्रा पर गया था। यशवंत सिन्हा के अलावा ‘कन्सर्न्ड सिटिजेंस ग्रुप’ के अन्य सदस्यों में पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला, पूर्व एयर वाइस मार्शल कपिल काक, पत्रकार भारत भूषण और सुशोभा बर्वे शामिल हैं। समूह ने इससे पहले भी कश्मीर यात्रा का प्रयास किया था लेकिन अधिकारियों ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी थी और उन्हें हवाईअड्डे से लौटा दिया था।