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महाराष्ट्र का मंथन: सुप्रीम कोर्ट ने मंगाई राज्यपाल की चिट्ठी, कल होगी सुनवाई

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र मामले में केंद्र और महाराष्ट्र को नोटिस जारी कर कल सुबह 10:30 बजे राज्यपाल के आमंत्रण वाली चिट्ठी पेश करने को कहा है. कांग्रेस की ओर से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल,अभिषेक मनु सिंघवी और बीजेपी की ओर से वकील मुकुल रोहतगी की दलील सुनने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल कल तक के लिए टाल दिया है. हालांकि आज हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत साबित करने को लेकर कोई फैसला नहीं दिया है. लेकिन इस मांग को भी ठुकरा दिया है कि बहुमत साबित करने के लिए समय दिया जाए. इससे पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि समर्थन पत्र कब दिया गया. वहीं जस्टिस रमन्ना ने कांग्रेस के वकील कपिल सिब्बल से पूछा कि क्या उनके पास कुछ है कि राज्यपाल को क्या लिखित दिया गया था. इस पर सिब्बल ने ना में जवाब दिया. सिब्बल ने आगे कहा कि अगर बीजेपी के पास बहुमत है तो साबित करें.

सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना की याचिका पर केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार, महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फड़नवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार को नोटिस जारी किया है।

सर्वोच्च नयायालय ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से राज्यपाल की उस चिट्ठी से संबंधित दस्तावेज अदालत में पेश करने के लिए कहा है जिनको साक्ष्य बनाकर बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों का समर्थन पत्र भी अदालत में पेश करने के लिए कहा है। कल (25 नवंबर) को ये सभी दस्तावेज शीर्ष अदालत में पेश करने के लिए के लिए सुप्रीम कोर्ट से आदेश मिला है।

बीजेपी की ओर से पेश हुए वकील मुकुल रोहतगी ने जब कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना की ओर से दायर की गई याचिका को लेकर सवाल खड़ा किया तो न्यायमूर्ति एनवी रमन्ना ने कहा, ''इस अदालत में अनंत संभावना है, कोई भी किसी चीज के लिए मांग कर सकता है, कोई भी शख्स उसे प्रधानमंत्री बनाए जाने की मांग कर सकता है।

शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस ने रविवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि उनके पास महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत है और देवेंद्र फडणवीस के पास सदन में बहुमत साबित करने के लिए पर्याप्त संख्याबल नहीं है। न्यायमूर्ति एन वी रमन, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ के समक्ष गठबंधन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा, ‘‘यदि फडणवीस के पास संख्या बल है, तो उन्हें सदन के पटल पर यह साबित करने दें, अन्यथा महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए हमारे पास संख्या बल है।’’

केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस के पास सरकार बनाने का मौलिक अधिकार नहीं है और उनकी याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती। वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी कुछ भाजपा और निर्दलीय विधायकों की ओर से न्यायालय में पेश हुए। उन्होंने कहा कि यह याचिका बंबई उच्च न्यायालय में दायर होनी चाहिए।

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