लखनऊ: जिस माफिया डान दाऊद को आरएसएस-भाजपा पानी पी-पीकर वाले कोसते रहे हैं उसी की कम्पनी डीएचएफएल में बिजली कर्मचारियों की जिंदगी भर की कमाई का भविष्य निधि का 42 अरब रूपया योगी की भाजपा सरकार द्वारा लगाया गया। मुख्यमंत्री 2 नवम्बर को प्रदेश के बिजली कर्मचारियों के पीएफ में हुए घोटाले की सीबीआई जांच कराने की घोषणा करते हैं लेकिन आज तक इस सम्बंध में आदेश जारी नहीं किया गया। दरअसल पार्टी के चंदे के लिए आरएसएस-भाजपा की सरकार ने माफिया की दिवालिया कम्पनी डीएचएफएल में पीएफ का अरबों रूपया लगाया और यही वजह है कि घोषणा के बावजूद अभी तक मुख्यमंत्री योगी जी ने सीबीआई जांच के लिए आदेश जारी नहीं किया है। यह बात आज एस. आर. दारापुरी, राष्ट्रीय प्रवक्ता, आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने प्रेस को जरी ब्यान में कही है।

उन्होंने कहा है कि देश की सार्वजनिक व प्राकृतिक सम्पदा और आम जन की गाढ़ी कमाई को कारपोरेट-माफिया-सरकार के गठबंधन द्वारा लूटा/लुटाया जा रहा है। कोयला, रेलवे, बैंक, बीमा, बीएसएनएल सब कुछ को बेचकर देश चलाने की मोदी नीति देश को बर्बाद कर देगी। पीएफ का पैसा शेयर बाजार में लगाने की अनुमति मनमोहन सरकार ने दी थी, जिसके आधार पर अखिलेश सरकार ने सत्ता से जाते-जाते नियम विरूद्ध कर्मचारियों के पीएफ का पैसा डीएचएफएल कम्पनी में लगाने का निर्णय लिया। इसके बाद बनी योगी जी की सरकार और उनके ऊर्जा मंत्री ने तो इसमें पीएफ के अरबों रूपए लगा भी दिए जो आज डूबने के कगार पर हैं। इसलिए ऊर्जा मंत्री को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए।

दारापुरी ने आगे कहा है कि अब जब रिजर्व बैंक ने इस कम्पनी को दिवालिया घोषित करते हुए इसके आहरण वितरण पर रोक लगा दी और कर्मचारियों की जीवन भर की कमाई पर गम्भीर संकट आ गया है, तब ऐसे संकट के समय यह दुखद है कि योगी सरकार द्वारा कर्मचारियों को उनके पीएफ की सुरक्षा की काउंटर गारंटी देने की जगह उन पर रासुका और एस्मा लगाने की धमकी दी जा रही है। उन्होंने कर्मचारियों के आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि यदि सरकार कर्मचारियों का दमन करेगी तो इसका प्रदेश की लोकतांत्रिक ताकतों द्वारा चैतरफा प्रतिवाद किया जायेगा।