मुंबई: कांग्रेस के सांसद हुसैन दलवाई ने यह कहकर शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी के संभावित गठबंधन का समर्थन किया कि शिवसेना पार्टी धर्मनिरपेक्ष नहीं है, परंतु उसके प्रमुख उद्धव ठाकरे बहुत सौजन्यशील नेता हैं. यह ध्यान रखना चाहिए कि ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना बहुत बदल गई है. उसने कभी भी आरएसएस-भाजपा की भूमिका स्वीकार नहीं की.

उन्होंने कहा कि यह भी एक इतिहास है कि शिवसेना के साबीर शेख कामगार मंत्री थे. अब्दुल सत्तार विधायक चुने गए हैं. भाजपा ने कितने मुस्लिमों को उम्मीदवारी दी? उसकी मुस्लिमों को लेकर क्या सोच है. शिवसेना धर्मनिरपेक्ष नहीं है, परंतु भाजपा जैसी धर्मांध भी नहीं है. इसलिए भाजपा के खिलाफ प्रांतीय दलों को मजबूत करना है तो कांग्रेस को शिवसेना के साथ महाराष्ट्र में सरकार गठित करनी चाहिए.

दलवाई ने विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद सुझाव दिया था कि शिवसेना-राकांपा व कांग्रेस को सरकार गठित करनी चाहिए. दलवाई ने लोकमत कार्यालय में शिवसेना के प्रति हमदर्दी, कांग्रेस की धर्मनिरपेक्षता, देशभर में क्या संदेश जाएगा, सरकार गठित करने में कांग्रेस की समय निकालने की नीति आदि मुद्दों पर खुलकर जबाव दिए.

दलवाई ने कहा कि मैंने और मेरे परिवार ने मुंबई दंगे का दर्द महसूस किया है. तब भी शिवसेना से संघर्ष किया था. 1985 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना समर्थकों ने मेरे साथ मारपीट की थी. इसके बावजूद मुझे लगता है कि भाजपा को सत्ता से दूर रखना ही शिवसेना-कांग्रेस-राकांपा का धर्म होना चाहिए.

उन्होंने इस आरोप को गलत बताया कि कांग्रेस सत्ता स्थापना को लेकर समय निकाल रही है. उन्होंने कहा कि अनेक मुद्दों पर चर्चा हो रही है, इसलिए सावधानी बरतना आवश्यक है. कल को रामविलास पासवान, रामदास आठवले व नीतिश कुमार जैसे नेता 'संप्रग' में आएंगे तो लंबी चर्चा की जरूरत नहीं पड़ेगी. लेकिन शिवसेना अलग विचारों वाली पार्टी है. इसलिए हमारे नेता अत्यंत सावधानी से इस संदर्भ में चर्चा कर रहे हैं. मैंने इसका भी समर्थन किया है.

दलवाई ने कहा कि भाजपा नेशनल और शिवसेना रीजनल फोर्स है. भाजपा के खिलाफ प्रांतीय दलों को मजबूती देना कांग्रेस का प्राथमिक कर्तव्य है. इससे देशभर में अच्छा संदेश जाएगा. महाराष्ट्र जैसा बड़ा राज्य भाजपा के कब्जे में जाने देना भविष्य के लिए बड़ी गलती साबित होगा.

उन्होंने कहा कि शिवसेना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अथवा संघ परिवार का संगठन नहीं है. शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे ने तो संघ की आलोचना की थी. उस पर कटाक्ष भी किया था. यह बात भी महत्वपूर्ण है कि अब तक शिवसेना का कोई भी नेता आरएसएस के मुख्यालय में नहीं गया है. समान कार्यक्रम? दलवाई ने सुझाव दिया कि समान कार्यक्रम में स्कूली शिक्षा में सुधार, सत्ता गठित होने के आठ दिन के भीतर किसानों को कर्जमाफी, सच्चर समिति की रिपोर्ट पर कार्यान्वयन, मुस्लिम आरक्षण, संविदा कामगारों को सुरक्षा, नए उद्योगों को गति देने के मुद्दे शामिल किए जाने चाहिए.