नई दिल्ली: देश के गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार (20 नवंबर) को राज्यसभा में एनआरसी को लेकर राज्यसभा में कहा कि हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को नागरिकता मिलनी चाहिए इसीलिए नागरिकता संशोधन विधेयक की आवश्यकता है। एनआरसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो यह कहता हो कि इसके तहत कोई अन्य धर्म नहीं लिया जाएगा। भारत के सभी नागरिक चाहे वे किसी भी धर्म के हों, एनआरसी सूची में शामिल होंगे। एनआरसी से नागरिकता संशोधन विधेयक अलग है।

उन्होंने कहा कि एनआरसी की प्रक्रिया को पूरे देश में लागू किया जाएगा। कोई भी हो, चाहे वह किसी भी धर्म का हो, सभी को एनआरसी के तहत लाना एक प्रक्रिया है। जिन लोगों का नाम मसौदा सूची में नहीं आया है, उन्हें ट्रिब्यूनल में जाने का अधिकार है। ट्रिब्यूनल पूरे असम में गठित किए जाएंगे। यदि किसी व्यक्ति के पास ट्रिब्यूनल से संपर्क करने के लिए पैसे नहीं है, तो असम सरकार वकील रखने की लागत वहन करेगी।