फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी को लेकर विपक्ष का विरोध

आज से शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला और अन्य लोगों की नजरबंदी का मुद्दा उठा। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने कश्मीर में ‘अस्थिरता’ और फारूक सहित महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला और अन्य लोगों की नजरबंदी का मुद्दा जोर-शोर से उठाया। भारतीय जनता पार्टी की पूर्व सहयोगी शिवसेना भी प्रदर्शनकारी सांसदों में शामिल है। लेकिन शिवसेना किसानों के मुद्दे पर विरोध कर रही है।

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुआई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के साथ शिवसेना ने नाता तोड़ तोड़ दिया है। शिवसेना के बाहर होने से विपक्ष की ताकत बढ़ गई है। अब संयुक्त विपक्ष 200 के आंकड़े को पार कर गया है।

शीतकालीन सत्र 13 दिसंबर तक चलेगा। लेकिन आज पहले ही दिन सदन में सदस्यों के इकट्ठा होने के तुरंत बाद विरोध शुरू हो गया। कांग्रेस सदस्य प्रधानमंत्री से जवाब की मांग करते हुए नारे लगाने के बाद स्पीकर के मंच के पास पहुंचे और ‘देश को बांटना बंद करो’ के नारे लगाने लगे। कांग्रेस के साथ नेशनल कॉन्फ्रेंस, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के नेता भी नारेबाजी में शामिल हैं। विपक्षी सांसदों ने नवगठित केंद्रशासित प्रदेश में हिरासत में लिए गए नेताओं के अलावा, अब्दुल्ला की रिहाई की मांग की।

विपक्षी सदस्य जम्मू-कश्मीर के हालात पर विरोध जताते हुए लगातार नारे लगा रहे थे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जब तेलुगु देशम पार्टी के सांसद के. श्रीनिवास को प्रश्नकाल के दौरान पहला सवाल करने के लिए आमंत्रित ‌किया तभी सांसदों की नारेबाजी तेज हो गई। तृणमूल कांग्रेस ने अब्दुल्ला की नजरबंदी पर लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कार्यवाही जारी रखी।

संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने विपक्षी सांसदों से अपील की है कि वे प्रश्नकाल को सुचारु रूप से चलने दें। उन्होंने आश्वस्त किया कि सरकार शून्यकाल में सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तैयार है। जोशी ने कहा, "प्रश्नकाल प्रत्येक सदस्य का अधिकार है। मैं विपक्ष से अपील करता हूं कि प्रश्नकाल सुचारु रूप से चलने दें। सरकार शून्यकाल में किसी भी मुद्दे पर जवाब देने के लिए तैयार है।"