मुंबई: महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर अभी भी कोशिशें जारी हैं। आज शाम कांग्रेस, शिवसेना एनसीपी की एक संयुक्त बैठक आयोजित की गई है, जिसमें कॉमन मिनिमन कार्यक्रम के लिए बातचीत की जा रही है। तीनों पार्टियां सरकार बनाने को लेकर आपस में बातचीत कर रही हैं।

बता दें, एनसीपी ने कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर बातचीत करने के लिए समिति का गठन किया, जिसमें पार्टी के नेता जयंत पाटिल, अजीत पवार, छगन भुजबल, धनंजय मुंडे और नवाब मलिक शामिल हैं। वहीं, कांग्रेस ने भी कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर बात करने के लिए कमेटी का गठन किया, जिसमें अशोक चव्हाण, पृथ्वीराज चव्हाण, मानिकराव ठाकरे, बालासाहेब थोराट और विजय वडेटिवार शामिल हैं।

शिवसेना ने गुरुवार को आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की 'पटकथा पहले ही लिख' दी गई थी और उन्होंने राज्यपाल पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने अब पार्टियों को सरकार बनाने के लिए छह महीने का समय दे दिया है। पार्टी ने यह भी कहा कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस राष्ट्रपति शासन लगाए जाने पर 'मगरमच्छ के आंसू' बहा रहे हैं क्योंकि सत्ता अब भी परोक्ष रूप से भाजपा के हाथ में ही है।

शिवसेना को सरकार बनाने का दावा जताने के लिए महज 24 घंटे का वक्त दिए जाने तथा अतिरिक्त समय दिए जाने से इनकार करने पर राज्यपाल की आलोचना करते हुए शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में संपादकीय में कहा कि ऐसा लग रहा है कि कोई अदृश्य शक्ति इस खेल को नियंत्रित कर रही है और उसके अनुसार फैसले लिए गए। महाराष्ट्र में राजनीतिक गतिरोध के बीच मंगलवार शाम को राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।

आपको बता दें कि 288 सीटों सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का रिजल्ट 24 अक्टूबर घोषित हुआ था, जिसमें 105 सीटें जीतते हुए बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। राज्य के चुनाव में शिवसेना को 56 सीटें मिलीं। इसके अलावा राकांपा को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिलीं। प्रदेश की 288 सदस्यीय विधानसभा में सरकार बनाने के लिये 145 विधायकों का समर्थन जरूरी है। मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच जमकर खींचतान हुई और दोनों पार्टियों में तालमेल नहीं बन सका।