मुंबई. महाराष्ट्र में एनसीपी और कांग्रेस से नजदीकी बढ़ने के बाद अब शिवसेना रविवार को होने वाली एनडीए की बैठक में भी हिस्सा नहीं लेगी. महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना के बीच पड़ चुकी खटास के बाद भी अभी तक शिवसेना ने आधिकारिक तौर पर अपना समर्थन वापस नहीं लिया है.

महाराष्ट्र में पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव के बाद से सरकार गठन को लेकर जारी गतिरोध के बीच मंगलवार शाम राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया. इसके बाद राज्य विधानसभा निलंबित अवस्था में रहेगी.

अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की रिपोर्ट पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की थी. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने अनुच्छेद 356(1) के तहत महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की उद्घोषणा पर हस्ताक्षर कर दिए हैं और विधानसभा को निलंबित अवस्था में रखा गया है.

अधिकारियों ने बताया कि राज्यपाल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि राज्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है कि चुनाव परिणाम घोषित होने के 15 दिन बाद भी स्थिर सरकार संभव नहीं है. राज्यपाल ने कहा कि सरकार गठन के लिए सभी प्रयास किए गए हैं, लेकिन उन्हें स्थिर सरकार बनने की कोई संभावना नहीं दिखती.

भाजपा के सरकार गठन के दावे से इनकार किए जाने के बाद शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस से समर्थन पत्र जुटाने में विफल रही. इसके बाद राज्यपाल ने शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी से मंगलवार रात साढ़े आठ बजे तक सरकार गठन का दावा करने को कहा था. राज्यपाल ने हालांकि अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया कि एनसीपी ने मंगलवार सुबह उनसे कहा कि पार्टी को आवश्यक समर्थन जुटाने के लिए तीन दिन का समय और चाहिए.