नई दिल्ली: जापान की हाइड्रोजन आधारित फ्यूल तकनीक व्याहारिक साबित हुई हो दिल्ली को प्रदूषण की समस्या से हमेशा के लिए निजात मिल सकती है। इस नई तकनीक की जानकारी मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इसकी संभावना तलाशने को निर्देश दिया है ताकि दिल्ली एनसीआर और उत्तरी भारत के अन्य क्षेत्रों को प्रदूषण से हमेशा के लिए मुक्त कराया जा सके।

अदालत ने सरकार को निर्देश दिया है कि इस मसले में जल्द बातचीत की जाए और तीन दिसंबर को अगली सुनवाई में जानकारी दे। दिल्ली की एयर क्वालिटी एक पखवाड़े में दूसरी बार इमर्जेंसी जोन के करीब पहुंचने के बाद यह नई उम्मीद जगी है। पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ने और प्रतिकूल जलवायु स्थितियों के चलते प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ा है।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, भावी मुख्य न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की बेंच ने कहा कि सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को इस तकनीक के बारे में जानकारी दी है। केंद्र सरकार दिल्ली एनसीआर और उत्तरी भारत के दूसरे क्षेत्रों में प्रदूषण से निपटने के लिए इस तकनीक की व्यावहारिकता तलाशे। हाइड्रोजन आधारित तकनीक जापान की एक यूनीवर्सिटी के रिसर्च पर आधारित है।

बेंच ने कहा कि दिल्ली एनसीआर और उत्तरी भारत में एयर क्वालिटी सुधारने के लिए स्थाई समाधान की आवश्यकता है। तुषार मेहता ने बेंच को बताया कि जापान की एक यूनीवर्सिटी ने दिल्ली एनसीआर और उत्तरी भारत के वायु प्रदूषण को ध्यान रखकर एक रिसर्च की है। यह रिसर्च बिल्कुल नई है और सरकार मानती ह कि प्रदूषण स्तर घटाने में इसका इस्तेमाल हो सकता है। मेहता ने जापान की यूनीवर्सिटी के अनुसंधानकर्ता विश्वनाथ जोशी का बेंच के समक्ष परिचय दिया। जोशी ने वायु प्रदूषण से निपटने बेंच को बताया कि यह तकनीक वायु प्रदूषण को खत्म कर सकती है। कोर्ट ने कहा कि इसी तरह की दूसरी याचिकाएं अन्य बेंचों में लंबित हैं। उन्हें सुनवाई के लिए मिलाया जा सकता है।