मुंबई: महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर बने गतिरोध के बाद अब राज्य में राज्यपाल ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर दी है। इससे पहले कैबिनेट ने राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा की। इस संबंध में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने रिपोर्ट राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सौंप दी है। वहीं, शिवसेना ने राज्यपाल द्वारा सरकार गठन के दावे के लिए समय ना बढ़ाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र में किसी भी दल को बहुमत न मिलने के चलते 24 अक्टूबर के बाद से अब तक राज्य में सरकार गठन नहीं हो पाया है। भाजपा और शिवसेना दोनों को राज्यपाल सरकार बनाने के लिए बुला चुके हैं और उनके लिए मौका खत्म हो गया है जबकि एनसीपी को समर्थन पत्र पेश करने के लिए आज रात साढ़े आठ बजे तक का समय दिया गया है।

महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना में माथापच्ची जारी है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने देश के वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल से फोन पर बात की है। वहीं, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने महाराष्ट्र के हालात पर केंद्र से चर्चा शुरू कर दी है। अगर एनसीपी पर्याप्त समर्थन पत्र के साथ नहीं आती है तो क्या फैसला लिया जाए, इस पर राज्यपाल सभी कानूनी पहलुओं पर सलाह ले रहे हैं।

महाराष्ट्र में सरकार के गठन के लिए राजनीतिक पार्टियों ने खासी माथापच्ची की। शिवसेना की ओर से निर्धारित समय पर राज्यपाल के सामने समर्थन पत्र पेश नहीं कर पाने के बाद अब प्रदेश की तीसरी बड़ी पार्टी एनसीपी को सरकार गठन के लिए मौका दिया गया। लेकिन एनसीपी का यह फैसला उनके सहयोगी दल कांग्रेस के रूख पर निर्भर है। इसे लेकर लगातार बैठकों का दौर जारी है।

इससे पहले महाराष्ट्र में शिवसेना के नेतृत्व में सरकार को समर्थन देने के मुद्दे पर सोमवार को विचार मंथन का काफी लंबा दौर चला और पार्टी की शीर्ष निर्णायक इकाई कांग्रेस कार्य समिति की भी बैठक हुई। लेकिन इसके बावजूद पार्टी में इस मुद्दे पर असमंजस की स्थिति कायम रही। कई घंटों के विचार मंथन के बाद पार्टी ने तय किया कि इस मुद्दे पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ और विचार विमर्श किया जाएगा। साथ ही कांग्रेस ने सरकार में शामिल होने के अपने विकल्प खुले रखे हैं।