नई दिल्ली: अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से दो दिनों में उत्तर प्रदेश में पुलिस ने 77 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन लोगों को सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये सांप्रदायिक सदभाव नष्ट करने के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। मध्य प्रदेश में भी 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

पुलिस ने लखनऊ में एक बयान जारी करके कहा कि पिछले दो दिनों में 34 केस दर्ज करके 77 लोगों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस की सोशल मीडिया विंग द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पोस्ट डालकर सांप्रदायिक सदभाव बिगाड़ने के प्रयास के आरोप में 22 केस दर्ज किए गए और 40 लोगों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने कुल 8275 पोस्टों पर कार्रवाई की। इमें से 4563 पोस्टों पर कार्रवाई रविवार को की गई। ये पोस्ट फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर डाले गए थे।

मध्य प्रदेश में सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट डालने और पटाखे छुड़ाने के लिए दस लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें से आठ लोगों को सिवनी और दो लोगों को ग्वालियर में गिरफ्तार किया गया। मध्य प्रदेश में भी पुलिस सोशल मीडिया की पोस्ट की सख्ती से निगरानी कर रही है।

उधर, सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के दूसरे दिन रविवार को अयोध्या के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ गई। हालांकि पुलिस अयोध्या में सुरक्षा व्यवस्था के लिए पूरी तरह चौकस और सख्त रही। हनुमानगढ़ी और नया घाट पर सुबह से ही खासी भीड़ रही। लोग भगवान राम और हनुमान की पूजा अर्चना के लिए आते रहे। शाम होते ही वहां भजन-कीर्तन भी तेज हो गई। राम लला के पुजारी आचार्य सत्येंद्र ने कहा कि भगवान को एक भक्त द्वारा लाए गए नए वस्त्र पहनाए गए। लेकिन पुलिस ने गश्त, निगरानी और लोगों तलाशी में किसी तरह की ढील नहीं बरती।

अयोध्या के बाकी क्षेत्रों में आम जनजीवन सामान्य रहा। हालांकि लोगों में काफी दिलचस्पी दिखाई दी। लोग सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में जानने के लिए अखबारों को खंगालते दिखे। अयोध्या में एक होटल के मैनेजर संदीप सिंह ने कहा कि यह रविवार इस लिहाज से खास रहा कि आज हम नए अयोध्या में जागे। अयोध्या विवाद का समाधान होने के बाद यहां सभी राहत की सांस ले रहे हैं।

पैंगबर मोहम्मद साहब के जन्म दिन पर आज अयोध्या में पारंपरिक रूप से निकलने वाला बाड़ा रबीउल अव्वल जुलूस इस बार रद्द कर दिया गया। मुस्लिम नेताओँ ने कहा कि यह फैसले एहतियाती कदम के तौर पर और मुस्लिम समुदाय में कुछ उदासी के चलते लिया गया। हालांकि अयोध्या प्रशासन ने कहा कि जुलूस निकाला गया। लेकिन इसे संभवतः संक्षिप्त रखा गया। जुलूस रद्द करने की बात कहने वाले मुस्लिम नेताओं में प्रमुख मुस्लिम मौलवी मुफ्ती शमशुल कमर कादरी भी थे। कादरी अयोध्या की मुख्य मस्जिद के इमाम हैं।