लखनऊ: अखिल भारत हिन्दू महासभा, उत्तर प्रदेश ने राम जन्मभूमि मन्दिर मामले में सुप्रीमकोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुये कहा है कि मन्दिर निर्माण के लिये बनने वाले ट्रस्ट बोर्ड में हिन्दू महासभा के प्रतिनिधि को शामिल करने के लिये केन्द्र सरकार से मिलेगी।

सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए हिन्दू महासभा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष पीयूष कान्त वर्मा ने कहा कि आज श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या से भगवान श्रीराम का शताब्दियों पुराना वनवास समाप्त हुआ, जो स्वागत योग्य है । श्री वर्मा ने केंद्र सरकार द्वारा तीन माह में बनाए जाने वाले ट्रस्ट में अखिल भारत हिन्दू महासभा को समुचित प्रतिनिधित्व देने के लिये जल्द ही केन्द्र सरकार को पत्र सौंपेगी। श्री वर्मा ने बताया कि राम मन्दिर मामले को लेकर १९४९ में हिन्दू महासभा जिला अयोध्या अध्यक्ष गोपाल सिंह विशारद ने जिला सिविल न्यायालय में वाद दायर किया था, जो दशकों की यात्रा करते हुए २०१० के उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद अखिल भारत हिन्दू महासभा की एक केविएट के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय के पटल पर लाया गया था । उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को अनेक शताब्दियों के मंदिर निर्माण आंदोलन में बलिदान हुए लाखों श्रीराम भक्तो के बलिदान और त्याग का दिव्य परिणाम बताते हुये कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से जो सहमत नहीं , उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अवमानना का अपराधी मानते हुए उन पर विधिसम्मत कारवाई निर्धारित होनी चाहिए । उन्होंने कहा कि हिन्दू महासभा न्यायिक निर्णय का संपूर्ण अध्ययन करने के बाद भावी रणनीति तैयार करेगी और सरकार द्वारा ३ माह में गठित होने वाले ट्रस्ट के साथ मंदिर निर्माण में योगदान देगी ।