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अयोध्या मामला: फैसले से पहले यूपी में तैनात होंगे CRPF के 4000 जवान

नई दिल्ली: अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में इसी महीने आने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पूर्व केंद्र सरकार ने कानून व्यवस्था को बरकरार रखने के लिए उत्तर प्रदेश को 4000 अतिरिक्त अर्ध-सैनिक बलों को मुहैया कराये हैं। इस संबंध में फैसला सोमवार को लिया गया। गृह मंत्रालय ने तत्काल उत्तर प्रदेश में पैरामिलिट्री फोर्स की 15 कंपनियों की तैनाती की मंजूरी दी। सभी जवान 18 नवंबर तक उत्तर प्रदेश में रहेंगे।

पैरामिलिट्री फोर्स की जो 15 कंपनियां यूपी में तैनात की जानी है उनमें बीएसएफ, आरएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी की तीन-तीन कंपनियां शामिल हैं। आधिकारिक निर्देशों में सशस्त्र पुलिस बल की 15 और कंपनियों के 11 नवंबर से 18 नवंबर तक यूपी में तैनाती की बात कही गई है।

केंद्र सरकार ने पहले से उत्तर प्रदेश में तैनात रैपिड एक्शन फोर्स (आएएफ) की 10 कंपनियों की भी तारीख बढ़ाकर 18 नवंबर कर दी है। एक अधिकारी के अनुसार, कुल 40 कंपनियां जिसमें 16 कंपनियां आरएएफ की और सीआईएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी और बीएसएफ की छह-छह कंपनियां शामिल हैं, को यूपी में 18 नवंबर तक तैनात रखा जाएगा।

ये पैरामिलिट्री कंपनियां राज्य के 12 सबसे संवेदनशील जिलों और शहरों में तैनात की जाएगी। रिपोर्ट के अनुसार वाराणसी के अलावा अयोध्या सहित कानपुर, अलीगढ़, लखनऊ, आजमगढ़ जैसे शहरों में अयोध्या पर फैसले के दौरान कानून व्यवस्था की यथास्थिथि बरकरार रखने के लिए ये सभी फोर्स तैनात किए जाएंगे। स्थानीय प्रशासन से सुरक्षा बलों की तैनाती के लिए प्रबंध करने को भी कहा गया है।

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए एक आचार संहिता जारी करते हुए उन्हें अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद भड़काऊ या उत्तेजक बयानों से बचने को कहा है।

पार्टी ने क्षेत्रवार बैठकें करके अपने नेताओं को चेतावनी दी है कि वे फैसले के दिन तब तक कोई भी बयान न जारी करें जब तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह का बयान न आ जाए।

केंद्र सरकार इस बात को लेकर सावधान है कि सुरक्षा संबंधी थोड़ी भी चूक प्रतिक्रिया को जन्म दे सकती है और इसका असर दूसरे राज्यों में भी पड़ सकता है। यूपी में पुलिस थानों को भी सख्त हिदायत दी गई है कि सुरक्षा के मामले में सरकारी निर्देशों का बिल्कुल भी उल्लंघन नहीं की जाए। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के रिटायरमेंट को देखते हुए 17 नवंबर से पहले अयोध्या मामले में फैसला सुना सकता है।

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