तौक़ीर सिद्दीक़ी

लखनऊ: मोदी सरकार को विभिन्न मोर्चों पर घेरने के अभियान में कांग्रेस द्वारा 35 पत्रकार वार्ताओं की श्रंखला का आयोजन किया गया है, उसी कड़ी में कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन ने आज लखनऊ में पत्रकारों को सम्बोधित किया| इस अवसर पर उन्होंने आर्थिक मंदी से लेकर कारखानों में तालाबंदी तक सभी मुद्दों पर मोदी सरकार को घेरा|

उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था आज ‘वेंटिलेटर’ पर है व रोजगार सृजन ‘कोमा’ में है, कृषि क्षेत्र पर तो मंदी का दंश और भी बुरा है। डूबती अर्थव्यवस्था, घटती बचत, व्यापार की तालाबंदी और बैंक घोटालों में जनता के पैसे की लूट ने यह साबित कर दिया है कि मोदी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था का दीवाला निकाल दिया है। भाजपा सरकार हर कदम पर देशहित से खिलवाड़ कर रही है। भाजपा ने देश की वित्तीय स्वायत्ता एवं आर्थिक स्थिरता को दांव पर लगा दिया है। सच्चाई यह है कि भारत ‘वित्तीय आपातकाल’ की स्थिति में है। जले पर नमक छिड़कते हुए प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी ने चीन एवं 15 अन्य देशों के साथ एक मेगा फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने का निर्णय किया है। ‘आरसेप’- रीज़नल कंप्रेहेंसिव इकाॅनाॅमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट नामक इस समझौते द्वारा भारत चीन एवं अन्य विदेशी उत्पादों व सामान के लिए एक डंपिंग ग्राउंड बन जाएगा।

अर्थव्यवस्था की बदहाली पर भजपा सरकार को घेरते हुए अजय माकन ने कहा कि वित्तीय संकट की जिम्मेदार भाजपा सरकार है, जिसने देश को वित्तीय आपातकाल के दरवाजे ला खड़ा किया है।पिछले छः सालों में जीडीपी सबसे निचले पायदान पर है। आंकड़ो की बाजीगरी छोड़ अगर वास्तविकता देखें तो वित्तीय वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में जीडीपी 5 प्रतिशत के निचले स्तर पर रही। आईएमएफ, फिच, विश्व बैंक, मूडी एवं आरबीआई सहित सभी एजेंसियों ने भारत में जीडीपी वृद्धि के पूर्वानुमान में भारी कटौती कर दी है। दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के पायदान से नीचे खिसक कर अब देश सातवें पायदान पर चला गया है।

उन्होंने कहा कि आर्थिक अराजकता की स्थिति का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि भाजपा सरकार अब आरबीआई इमरजेंसी रिज़र्व को खाली करने से भी नहीं चूक रही, जिसे युद्ध या फिर अन्य गंभीर वित्तीय संकटों के दौरान देश की रक्षा करने के लिए सुरक्षित रखा जाता है। बात यहीं खत्म नहीं होती। 1990 के बाद पहली बार आरबीआई को खुले बाजार में अपना गोल्ड रिज़र्व बेचना पड़ा। इसका परिणाम यह है कि देश की मुद्रा एवं अर्थव्यवस्था की वित्तीय स्थिरता की रक्षा करने वाले संस्थान, आरबीआई को मोदी सरकार की विफलताओं, वित्तीय कुप्रबंधन तथा राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए देश की आर्थिक स्थिरता को दांव पर लगाना पड़ा है।

कृषि सेक्टर पर केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि इस सेक्टर की जीडीपी वित्तवर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में गिरकर मात्र 2 प्रतिशत रह गई है। किसानों को लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफा समर्थन मूल्य के तौर पर देने की बजाए भाजपा सरकार ने किसानों को बाजारी ताकतों के भरोसे छोड़ दिया है। वर्तमान खरीफ मौसम में ही खरीफ फसलें समर्थन मूल्य से 8 प्रतिशत से 37 प्रतिशत नीचे, यानि औसतन 22.5 प्रतिशत कम मूल्य पर बिक रही हैं।

अजय माकन ने कहा, हम भाजपा सरकार को चेताते हैं कि वो देश को वित्तीय आपातकाल में धकेलने की बजाए रोजी-रोटी, व्यापार, कृषि को बचाने हेतु ठोस कदम उठाएं तथा देश को विश्वास में लें।