नई दिल्ली: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने सोमवार को देशभर में हुए आपराधों के ताजा आंकड़े जारी किए लेकिन मॉब लिंचिंग, खाप फरमानों और धार्मिक कारणों से हुई हत्याओं के अपराधों को लेकर ब्यूरो ने डेटा जारी नहीं किया है। ब्यूरो ने एक साल की देरी से अपराधों को लेकर डेटा जारी किया है।

नई रिपोर्ट में ज्यादातर 2016 संस्करण के पैटर्न का पालन किया गया है। सूत्रों ने कहा कि एजेंसी ने एनसीआरबी के पूर्व निदेशक इश कुमार की अगुवाई में बड़े पैमाने पर डेटा सुधार की कवायद शुरू की थी। संशोधित प्रोफॉर्मा में भीड़ और धार्मिक कारणों से हुई हत्या के लिए उप-श्रेणिया जोड़ी गई थीं। सूत्रों ने कहा कि यह बेहद हैरान करने वाला है कि आंकड़े जुटाए जाने पर भी प्रकाशित नहीं किए गए। डेटा संग्रह से जुड़े एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि केवल प्रमुख अधिकारी जानते हैं कि डेटा प्रकाशित क्यों नहीं किया गया।

अधिकारी ने कहा कि मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर डेटा इकट्ठा करने का फैसला इसलिए लिया गया था ताकि उस डेटा संग्रह से सरकार को अपराधों से निपटने के लिए नीतियों को बेहतर बनाने में मदद मिलती। अधिकारी ने कहा कि लिंचिंग कई कारणों से होती है जिसमें चोरी का संदेह, बच्चा चोरी, पशु तस्करी या सांप्रदायिक कारण शामिल हैं।