नई दिल्ली: जमीयत उलेमा हिन्द की केंद्रीय कार्यकारी समिति की राष्ट्रीय बैठक हुयी जिसमें मौजूदा तमाम मुद्दों पर गहन चर्चा हुई और ये निष्कर्ष निकाला गया कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक मौजूदा परिस्थितियों से लोग डरे सहमे हैं और एक अविश्वास की भावना आयी हैं। वर्तमान में भारतीय संविधान और कानून को समाप्त करते हुए कानूनी न्याय की संवैधानिक परम्परा को खत्म करने की कोशिश हो रही है जिससे कि नया इतिहास लिखा जा सके. बैठक में जमीयत उलेमा हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान का विरोध किआ जिसमें गृह मंत्री ने गैर मुस्लिम सभी धर्मों को भारतीय नागरिकता देने की बात कही, मौलाना मदनी ने कहा कि अमित शाह के बयान से स्पष्ट हैं की अमित शाह के निशाने पर सिर्फ मुस्लिम हैं और माननीय गृह मंत्री की सोच संविधान की धारा 14-15 के विरुद्ध हैं जिसमें सभी धर्मों को उनके धार्मिक भाषा, खानपान, रहन सहन के नाम पर किसी नागरिक के साथ भेदभाव नही करने की बात की हैं।

अंत में मौलाना मदनी ने धारा 370 का जिक्र करते हुए कहा कि मामला कोर्ट में हैं और हमें ये पूर्ण विश्वास है कि कश्मीरियों के साथ न्याय होगा। बाबरी मस्जिद का जिक्र करते हुए कहा कि जमीयत उलेमा हिन्द का पूर्ण विश्वास हैं कि न्यायपालिका का निर्णय आस्था की बुनियाद पर ना होकर सबूतों और कानून की बुनियाद पर होगा और कोर्ट के हर फैसले का जमीयत उलेमा हिन्द स्वागत करती हैं.