नई दिल्ली: इतिहासकार रोमिला थापर, सिनेमेटोग्राफर आनंद प्रधान, अभिनेता नसीरुद्दीन शाह, एक्टिविस्ट हर्ष मंदर समेत 180 से अधिक सदस्‍यों ने उस कार्रवाई की निंदा की जिसके तहत 49 हस्तियों पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है। इन 49 हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं की निंदा की थी।

सोमवार को जारी किए गए नए पत्र में प्रमुख हस्तियों ने सवाल किया क‍ि प्रधानमंत्री को खुले तौर पर लिखे गए पत्र को राजद्रोहा का मामला कैसे बना दिया गया। हाल में ही सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा था कि सरकार की आलोचना करने पर राजद्रोह के आरोप नहीं लगाए जा सकते।

180 से अधिक हस्तियों ने पत्र में कहा, 'सांस्‍कृतिक समुदाय में हमारे 49 सहयोगियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। केवल इसलिए क्‍योंकि समाज के जिम्‍मेवार नागरिक के तौर पर उन्‍होंने आवाज उठाई। देश में हो रही मॉब लिंचिंग पर चिंता जताते हुए उन्‍होंने प्रधानमंत्री को खुले तौर पर पत्र लिखा था। क्‍या इसे राजद्रोह का मामला कहेंगे? क्या अदालतों का दुरुपयोग करके लोगों की आवाज को चुप कराना प्रताड़ना नहीं है?'

इस पत्र पर हस्‍ताक्षर करने वालों में लेखक अशोक वाजपेयी और जेरी पिंटो, इरा भास्‍कर, कवि जीत थायिल, लेखक शम्‍सुल इस्‍लाम, संगीतकार टीएम कृष्‍ण और फिल्‍ममेकर-एक्टिविस्‍ट सबा दिवान शामिल हैं। इन सबका कहना है, ‘हम हर दिन मॉब लिंचिंग, लोगों की आवाज को चुप कराने और उन्‍हें प्रताड़ित करने के लिए अदालतों के दुरुपयोग के खिलाफ बोलेंगे।’

हमारे सहयोगियों ने जो पत्र प्रधानमंत्री को लिखा उसके हरेक शब्‍द का हम समर्थन करते हैं। बता दें कि प्राथमिकी 3 अक्‍टूबर को दर्ज कराई गई थी। इन 49 शख्सियतों में मणि रत्‍नम, अनुराग कश्‍यप, श्‍याम बेनेगल, सौमित्र चटर्जी और शुभा मुद्गल पर देश की छवि बिगाड़ने का आरोप लगाकर मामला दर्ज किया गया था।