नई दिल्ली: जम्मू एंड कश्मीर राज्य चुनाव आयोग ने रविवार (29 सितंबर) को राज्य में ब्लॉक डिवेलपमेंट काउंसिल (खंड विकास परिषद) के चुनाव 24 अक्टूबर को कराने का फैसला किया। यह फैसला उस वक्त किया गया है, जब जम्मू-कश्मीर की मुख्य राजनीतिक पार्टियों से जुड़े अधिकतर दिग्गज नेता हिरासत में हैं। इनमें से करीब 250 लोगों को जम्मू-कश्मीर सेफ्टी एक्ट और हजारों को रणबीर पीनल कोड की विभिन्न धाराओं के तहत पकड़ा गया है। जम्मू कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी शैलेंद्र कुमार ने बताया कि मतदान के दिन ही नतीजे भी घोषित कर दिए जाएंगे।

जानकारी के मुताबिक, बीडीसी चुनाव में पंच और सरपंच मिलकर चेयरमैन चुनेंगे, जिसके बाद कई जिला विकास बोर्ड (DDBs) बनाए जाएंगे। हर डीडीबी की अध्यक्षता बीडीसी के निर्वाचित चेयरपर्सन करेंगे, जो जिले के विधायकों व सांसदों से अलग होंगे। बता दें कि पंचायत राज अधिनियम 1989 और 1996 के तहत ये बोर्ड विकास कार्य कराने में अहम भूमिका निभाएंगे।

चुनाव आयोग के मुताबिक, राज्य के 310 ब्लॉक में चुनाव होंगे। इनमें 172 सीटें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला उम्मीदवारों के लिए रिजर्व रखी गई हैं। शैलेंद्र कुमार ने बताया कि इन चुनावों में 26,629 प्रत्याशी हिस्सा लेंगे, जिनमें 18,316 पुरुष हैं और 8,313 महिलाएं। वहीं, 50 प्रतिशत से भी ज्यादा यानी कि 168 ब्लॉक कश्मीर घाटी के अंतर्गत आते हैं।

बता दें कि जम्मू कश्मीर में अक्टूबर 2018 के दौरान पंचायत चुनाव हुए थे। उस दौरान 23,629 पंच और 3,652 सरपंच चुने गए थे। हालांकि, आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, कश्मीर घाटी में 61 प्रतिशत पंच वॉर्ड खाली पड़े हुए हैं। वहीं, 18,833 पंच वॉर्ड में से सिर्फ 7,596 में ही पंच चुने गए थे। इसी तरह 45 प्रतिशत वॉर्ड में सरपंच नहीं चुने गए। घाटी के 2,375 सरपंच वॉर्ड में से सिर्फ 1,558 में ही सरपंच चुने गए थे। इनमें से अधिकतर बिना किसी चुनौती के चुनाव जीत गए थे। घाटी में चुने गए 7,596 पंचों में से करीब 3500 से ज्यादा को चुनाव में मुकाबले का सामना ही नहीं करना पड़ा था। इसी तरह करीब 530 सरपंच भी बिना किसी मुकाबले के जीत गए थे।