औरंगाबाद: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं के विवादित बयानों का सिलसिला शुरू हो गया है। कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान को लेकर अजीबोगरीब बयान देने वाले एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है। महाराष्ट्र के औरंगाबाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए शरद पवार ने कहा कि राज्य की भाजपा सरकार के खिलाफ लोगों में गुस्सा है और केवल पुलवामा हमले जैसी घटना ही महाराष्ट्र के लोगों के मूड को बदल सकती है।

पवार ने इस दौरान कहा, 'लोकसभा चुनाव से पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ गुस्से और संकट का माहौल था। लेकिन सीआरपीएफ जवानों पर पुलवामा हमले ने पूरे परिदृश्य को बदल कर रख दिया। अब लोगों का मन केवल पुलवामा हमले जैसी स्थिति के साथ ही बदला जा सकता है।' पवार ने यह भी दावा किया कि जब उन्होंने इस साल फरवरी में पुलवामा हमले के बारे में पूछताछ की, तो उन्हें संदेह था कि यह 'जानबूझकर' किया गया था।

पवार यहीं नहीं रूके, उन्होंने आगे कहा, 'मैंने रक्षा क्षेत्र में काम किया है। जब मैंने कुछ अधिकारियों से बात की तो मुझे शक हुआ कि हमला जानबूझकर किया गया था या इसके पीछे पाकिस्तान का हाथ हो सकता है।' इसी साल 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादी हमला हुआ था जिसमें अर्धसैनिक बल के 40 जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद केंद्र की मोदी सरकार ने पाकिस्तान के अंदर बालाकोट स्थित एक आतंकी अड्डे पर हवाई हमले किए थे जिसमें कई आतंकी मारे गए थे।

पवार ने कहा कि बालाकोट हवाई हमलों से मोदी सरकार की लोकप्रियता बढ़ी। हालांकि, उन्होंने कहा कि मोदी की लोकप्रियता महाराष्ट्र में काम नहीं करेगी क्योंकि लोग फडणवीस सरकार से संतुष्ट नहीं हैं। एनसीपी प्रमुख ने कहा, 'विधानसभा चुनावों में भाजपा को नुकसान होगा। राष्ट्रवादियों से लोगों की उम्मीदें बढ़ी हैं। महाराष्ट्र सरकार ने ऐसा कोई काम नहीं किया गया कि फडणवीस दुबारा सत्ता में आ जाएं।'

उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस और राकांपा के फैसले के पक्ष में बोलते हुए कहा, 'हम अधिक से अधिक धर्मनिरपेक्ष ताकतों को साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं। हमने कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया है और अब हम बहुजन विकास अगाड़ी, समाजवादी पार्टी और अन्य छोटे दलों को अपने साथ लेने की कोशिश कर रहे हैं। एनसीपी राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के साथ हाथ मिलाने को तैयार थी, लेकिन कांग्रेस इसके लिए तैयार नहीं थी।' आपको बता दें कि महाराष्ट्र में इसी साल 288 सदस्यों वाली विधानसभा के लिए चुनाव होने हैं।