नई दिल्ली: भले सरकार साफ तौर पर आर्थिक मंदी की बात को स्वीकार ना करे लेकिन सरकार की तरफ से आर्थिक सुस्ती से निपटने के लिए अलग-अलग सेक्टर्स के लिए 70 हजार करोड़ रुपये की मदद की घोषणा की जा चुकी है।

इसके बावजदू कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि सरकार के इन प्रयासों का कोई अर्थव्यवस्था पर खास असर असर नहीं पड़ेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 14 सितंबर को निर्यातकों के लिए टैक्स रिफंड प्रोग्राम के बारे में कहा कि इससे सरकार के राजस्व में सालाना 50 हजार करोड़ रुपये का भार पड़ेगा।

सरकार ने इस निर्यात को बढ़ावा देने के लिए शुल्क में कटौती का ऐलान भी कर चुकी है। इससे पहले 23 अगस्त को वित्त मंत्री ने बैंकों में 70 हजार करोड़ रुपये की पूंजी डालने, जीएसटी रिफंड और विदेश पोर्टफोलियो निवेशकों पर बढ़े सरचार्ज को कम करने का ऐलान किया था। इसमें स्टार्टअप के लिए एंजेल टैक्स खत्म करना भी शामिल था।

इसके बाद 14 अगस्त को वित्त मंत्री निर्मला सीतारसरकार ने हाउसिंग सेक्टर को गति देने के लिए 10 हजार करोड़ रुपये का फंड बनाने की घोषणा की। इस फंड का प्रयोग देश में लटकी हुई हाउसिंग परियोजनाओं को पूरा करने में किया जा सकेगा। हालांकि, इस फंड का लाभ उन्हीं प्रोजेक्ट को मिलेगा जो एनपीए और एनसीएलटी में ना गए हों। इसके अलावा सरकार ने अगले साल मार्च में मेगा शॉपिंग फेस्टिवल आयोजित करने की भी घोषणा की थी।

एनडीटीवी की खबर के अनुसार सरकार की इन घोषणाओं पर निर्मल बैंग इक्विटी प्राइवेट की अर्थशास्त्री टेरेसा जॉनसन का कहना है कि हाउसिंग की तुलना में निर्यातकों के लिए यह बेहतर है लेकिन यह गेमचेंजर नहीं होने जा रहा है। हाउसिंग डिमांड को बढ़ाने के लिए कोई महत्वपूर्ण उपाय नहीं किए गए हैं। इससे रियल स्टेट के स्टॉक्स पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

कंफेडरेशन ऑफ रियल स्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन जे.शाह का कहना है कि लगातार आर्थिक झटकों के बाद से सरकार के इस कदम से घरों की बिक्री बढ़ने वाली नहीं है। आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट इंद्रनील पान का कहना है कि अभी तक डिमांड साइड की तरफ से समस्या है जिसके कारण विकास दर कम हो रही है और महंगाई बढ़ रही है। अभी तक जिन उपायों की घोषणा की गई है वह सप्लाई साइड के दिक्कतों को दूर करने वाले हैं। इसलिए इनका कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ेगा।