नई दिल्ली: ट्रक का 1.71 लाख रुपये का चालान, 15 हजार की स्कूटी पर 23 हजार का चालान, नोएडा में चालान को लेकर ट्रैफिक पुलिस के रवैये से 35 साल के गौरव की मौत, ये सब ऐसे उदाहरण हैं कि जिसका केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को हर रोज सामना करना पड़ रहा है। शायद बढ़ते मामले और राज्यों के असहयोग वाले रूख को देखते हुए गडकरी ने भी अपने तेवर ढीले कर दिए हैं। अभी तक नए मोटर व्हीकल कानून के तहत ऊंचे जुर्माने को जायज ठहराने वाले नितिन गडकरी ने बुधवार को कहा है कि राज्य चाहे तो जुर्माने की राशि घटा सकते हैं। इस बयान से स्पष्ट है कि सरकार को जनता के बीच बढ़ती नाराजगी का अहसास हो गया है।

असल में जिस तरह ऊंचे जुर्माने के मामले आने शुरू हुए, उसके बाद ही कई राज्यों ने इस कानून को लेकर केंद्र सरकार से असहयोग करना शुरू कर दिया था। ताजा मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात का है। जहां पर भाजपा की सरकार ने केंद्रीय कानून के तहत तय की गई जुर्माने की राशि में 90 फीसदी तक कटौती कर दी है। इसके पहले पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, राजस्थान और पंजाब सरकार ने नए कानून को अपने राज्य में नहीं करने का ऐलान कर चुके हैं। इसके अलावा उड़ीसा ने तीन महीने तक जुर्माने के प्रावधान में छूट दे रखी है।

जिस तरह से पूरे देश में लोगों के भारी जुर्माने से परेशान होने की खबरें आई हैं। उससे सरकार को इस बात का संदेश चला गया है कि यह कानून उनके लिए जनता के बीच भारी नाराजगी खड़ी कर सकता है। साथ ही इसी साल हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड में विधान सभा चुनाव भी होने वाले हैं। ऐसे में लगता है कि सरकार को समझ में आ गया है कि अगर जुर्माने की राशि पर राहत नहीं दी गई तो उसका खामियाजा चुनाव में उठाना पड़ सकता है। इसे देखते हुए शायद गडकरी का बयान नए संकेत दे रहा है।