नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद का खुलेआम इस्तेमाल कर रहा है और जब तक वह इसकी वित्तीय मदद तथा आतंकी समूहों की भर्ती पर रोक नहीं लगाता तब तक उसके साथ बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं है. जयशंकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा हाल में कश्मीर मुद्दे पर 'न्यूयॉर्क टाइम्स' में लिखे गए एक लेख का जवाब दे रहे थे. लेख में इमरान खान ने लिखा है कि बातचीत तत्काल किए जाने की आवश्यकता है, क्योंकि दक्षिण एशिया पर परमाणु हमले का खतरा मंडरा रहा है. ब्रसेल्स में 'पॉलिटिको' को दिए एक इंटरव्यू में जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान जब 'खुलेआम आतंकवाद का इस्तेमाल कर रहा है' तो बातचीत का विचार बेकार है.

जयशंकर ने कहा कि उन्हें इमरान खान द्वारा शुक्रवार को लिखा गया लेख पढ़ने का समय नहीं मिल पाया है. उन्होंने कहा कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद की वित्तीय मदद और आतंकी समूहों की भर्ती पर रोक नहीं लगाता तब तक बातचीत की कोई उम्मीद नहीं है. जयशंकर पिछले सप्ताह ब्रसेल्स में थे. उन्होंने कहा, 'आतंकवाद कोई ऐसी चीज नहीं है जो पाकिस्तान में अंधेरे कोनों में की जा रही हो. यह दिनदहाड़े किया जाता है.' पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा जनवरी 2016 में पठानकोट वायुसेना स्टेशन पर हमला किए जाने के बाद से पाकिस्तान से भारत बात नहीं कर रहा है. भारत का कहना है कि बातचीत और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते.

भारत द्वारा अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान खत्म किए जाने के बाद कश्मीर में स्थिति के बारे में विदेश मंत्री ने कहा कि समूची घाटी में 'आगामी दिनों' में सुरक्षा प्रतिबंधों में ढील दी जाएगी. उन्होंने कहा कि टेलीफोन और इंटरनेट प्रतिबंध आतंकी तंत्र की सक्रियता को रोकने और हिंसा फैलाने वालों को एक-दूसरे के संपर्क में आने से रोकने के लिए आवश्यक थे. जयशंकर ने कहा, 'मैं यह कैसे कर सकता हूं कि एक तरफ आतंकवादियों और उनके आकाओं के लिए संचार को काटे रखूं, तथा दूसरी तरफ अन्य लोगों के लिए इंटरनेट खुला रखूं? मुझे जानकर खुशी होगी.'

उन्होंने कहा, 'मैं आपसे कहूंगा कि आगामी दिनों में ढील आप उत्तरोत्तर देखेंगे.' जयशंकर ने कहा कि इसमें अतिरिक्त सुरक्षाबलों की संख्या में कटौती शामिल होनी चाहिए. उन्होंने कहा, 'मैं चाहूंगा कि पुलिस को जल्द अपने मूल दायित्वों में वापस भेजा जाए.' उन्होंने कहा, 'स्पष्ट रूप से कह रहा हूं कि उसके (पुलिस) पास करने के लिए अन्य काम और चीजें हैं.' विदेश मंत्री ने इस बात से भी इनकार किया कि कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने में कोई हिन्दू राष्ट्रवादी एजेंडा है जिससे कि गैर मुस्लिमों को वहां संपत्ति खरीदने की अनुमति मिल सके और मुस्लिम बहुल आबादी को दरकिनार किया जा सके. उन्होंने कहा कि जो लोग यह कहते हैं, वे भारत को नहीं जानते. क्या यह भारत की संस्कृति से मेल खाता है?