नई दिल्ली: वित्त सचिव राजीव कुमार का मानना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एकीकरण के कदम से अर्थव्यवस्था के आकार को 5,000 अरब डॉलर पर पहुंचाने के लक्ष्य में मदद मिलेगी। सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों के विलय के माध्यम से चार बड़े सरकारी बैंक बनाने का फैसला किया है। वित्त सचिव ने पीटीआई भाषा से साक्षात्कार में कहा,‘‘अगले स्तर की वृद्धि को समर्थन के लिए देश को बड़े बैंकों की जरूरत है।

शुक्रवार को जिस विशाल विलय की घोषणा की गई है उससे इस लक्ष्य को पाने में मदद मिलेगी। अब हमारे पास छह विशाल बैंक होंगे जिनका पूंजी आधार, आकार, स्तर और दक्षता बढ़ी होगी। इससे देश को मध्यम आय वर्ग वाले देशों में आने के लिए ऊंची वृद्धि के लक्ष्य को पाने में मदद मिलेगी।’’ कुमार ने कहा कि इस एकीकरण से मजबूत और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बैंक अस्तित्व में आ सकेंगे, जिनके पैमाने का स्तर ऊंचा होगा।

उन्होंने कहा कि विलय बाद बनने वाले बैंकों की पहुंच अधिक व्यापक होगी। उनकी ऋण देने की क्षमता मजबूत होगी और वे नए भारत में ग्राहकों को अधिक बेहतर उत्पाद और प्रौद्योगिकी दे सकेंगे। भविष्य की रूपरेखा के बारे में पूछे जाने पर वित्त सचिव ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र प्रौद्योगिकी आधारित, साफ सुथरे और प्रतिक्रिया देने वाला होगा। उन्होंने कहा कि प्रणाली से कोई खिलवाड़ नहीं कर सकेगा चाहे वह आडिटर हो, रेटिंग एजेंसियां हों या बैंकर हों। सभी बैंकों का पूंजीकरण बेहतर होगा और वे 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था को समर्थन दे सकेंगे।

उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक बेहतर दक्षता, ऊंचे लाभ, ग्राहकों को बेहतर सेवाएं और अपने कर्मचारियों को अधिक लाभ पर विचार कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने बड़े बैंकों को उनकी जरूरत की पूंजी से 0.25 प्रतिशत अधिक उपलब्ध कराई है। ऐसा करते समय घरेलू प्रणाली में उनके महत्वपूर्ण दर्जे को ध्यान में रखा गया है।

सरकार ने शुक्रवार को सार्वजनिक क्षेत्र के दस बड़े बैंकों का विलय कर चार बैंक बनाने की घोषणा की। इसके मुताबिक पीएनबी में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और युनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का, केनरा बैंक में सिंडिकेट बैंक का, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का एवं इंडियन बैंक में इलाहाबाद बैंक का विलय किया जाना है। विलय के बाद कुल सरकारी बैंकों की संख्या 12 रह जाएगी।