इस्लामाबाद: पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि कश्मीर मुद्दा सुलझाने के लिए युद्ध कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा, पाकिस्तान ने कभी आक्रामक नीति नहीं अपनाई। हमेशा शांति को तरजीह दी। एक साक्षात्कार में कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान सरकार ने बार-बार भारत को बातचीत शुरू करने की पेशकश की है, क्योंकि दोनों परमाणु हथियार संपन्न देश जंग में जाने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं। पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने जोर दिया कि युद्ध कश्मीर मुद्दे से निपटने का विकल्प नहीं है।

उन्होंने कहा कि भारत प्रशासित कश्मीर में कर्फ्यू ख़त्म कर दिया जाए, बुनियादी अधिकार बहाल कर दिए जाएं, हिरासत में लिए गए कश्मीरी नेताओं को छोड़ दिया जाए और उन्हें (शाह महमूद क़ुरैशी को) इन नेताओं से मिलने की इजाज़त दी जाए, तो संवाद निश्चित तौर पर शुरू हो सकता है.

पाकिस्तान के विदेशमंत्री ने कहा, ''इस संघर्ष में तीन पक्ष हैं. मुझे लगता है कि भारत यदि गंभीर है तो उसे सबसे पहले कश्मीरी नेतृत्व को रिहा कर देना चाहिए. मुझे उनसे मिलने और परामर्श करने दीजिए. मुझे उनकी भावनाएं समझनी होंगी क्योंकि हम कश्मीरियों की भावनाओं की अनदेखी करके बातचीत के टेबल पर नहीं बैठ सकते.''

इस मामले में भारत अतीत में ये कहता रहा है कि पाकिस्तान को अपनी ज़मीन से होने वाले चरमपंथी हमले रोकने होंगे, तभी उससे बात हो सकती है. पाकिस्तान इससे इंकार करता है कि उसकी ज़मीन से चरमपंथी हमले होते हैं और दावा करता है कि वो ख़ुद चरमपंथ का शिकार रहा है.

शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान की मौजूदा सरकार पिछले एक साल से सत्ता में है और इस दौरान भारत से संवाद के लिए बार-बार कहती रही है, ताकि दोनों देशों के बीच लंबित मुद्दों को सुलझाया जा सके, ख़ासतौर पर कश्मीर का मामला, ये जानते हुए कि परमाणु हथियार सम्पन्न दोनों ही देश जंग का जोख़िम नहीं ले सकते.

उन्होंने कहा, '' जंग लोगों के लिए विनाशकारी होगी. इससे सारी दुनिया प्रभावित होगी, इसलिए निश्चित तौर पर ये कोई विकल्प नहीं है.''

हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि पाकिस्तान पर यदि युद्ध थोपा गया, तो पाकिस्तान की सशस्त्र फ़ौज इसके लिए तैयार है.